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हुशाम हुआ। बीसवे अरनाथ और कुमार शेषका जन्म इश्वको त
इतिहास हुआ। उन्नीसवें मल्लिनाथ और इक्कीसवे नमिनाथका जन्म पुरीमे हुमा। बीसवे मुनिसुव्रतनाथका जन्म राजगृही नगरीमे हुन __इनमेसे धर्मनाथ, अरनाथ और कुन्युनाथका जन्म कुरुवंशमे हुल मुनिसुनतनायका जन्म हरिवशमे हुआ और गेषका जन्म इक्ष्वाकुवंर हुआ। सभीने अन्तमे प्रव्रज्या लेकर भगवान ऋषभदेवकी तर तपश्चरण किया और केवल ज्ञानको प्राप्त करके उन्हीकी तरह ध पदेश किया और अन्तमे निर्वाणको प्राप्त किया। इनमेसे भगव वासुपूज्यका निर्वाण चम्पापुरसे हुआ और शेष तीर्थरोका निव सम्मेदशिखरसे हुआ। अन्तिम तीन तीर्थङ्करोंका वर्णन आगे पढिये
भगवान नेमिनाथ भगवान नेमिनाथ वाईसवे तीर्थकर थे। ये श्रीकृष्णके च भाई थे। शौरीपुर नरेश अन्धकवृष्णिके दस पुत्र हुए। सबसे व पुत्रका नाम समुद्रविजय और सबसे छोटे पुत्रका नाम वसुदेव था समुद्रविजयके घर नेमिनाथने जन्म लिया और वसुदेवके घर श्रीकृष्णने जरासन्ध के मयसे यादवगण शौरीपुर छोड़कर द्वारका नगरीमे जाव रहने लगे । वहाँ जूनागढके राजाकी पुत्री राजमतीसे नेमिन या विवाह निश्चित हुआ बड़ी धूम-धामके साथ वारात जूनागढ़के निक पहुंची। नेमिनाथ बहुतसे राजपुत्रोके साथ रयमे बैठे हुए आसपास शोभा देखते जाते थे। उनकी दृष्टि एक ओर गई तो उन्होने देर बहुतसे पशु एक बाड़मे बन्द है, वे निकलना चाहते है किन्तु निकलने कोई मार्ग नही है। भगवानने तुरन्त सारथिको रथ रोकने आदेश दिया और पूछा-ये इतने पशु इस तरह क्यों रोके है। नेमिनाथको यह जानकर बड़ा खेद हुआ कि उनकी वारातमे अ हुए अनेक राजाओके आतिथ्य सत्कारके लिये इन पशुओंका वध कि जानेवाला है और इसी लिये वे बाड़ेमे बन्द है। नेमिनाथके दया हृदयको बडा कष्ट पहुंचा। वे वोले- यदि मेरे विवाहके निमित्त इतने पशुओं का जीवन संकटमें है तो धिक्कार है ऐसे विवाहको। उ
---- (1) श्वताम्बर मान्यताके अनुसार भगवान महावीरकी माता ।
चेटककी वहिन यो। तथा महावीरका विवाह मी हुना था।