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आदि को समझने में मात्मा को सहायता पहुंचानेवाला बान्तरिक साधन है।"
मन की सबसे संगत परिभाषा हेमचन्द्र ने दी है। उनके अनुसार, सभी इन्द्रियों की वस्तुओं का ज्ञान करानेवाले बंग का नाम मन है । यदि परिभाषा यही रहती कि सभी वस्तुओं को बोध करानेवाली चीज मन है, तो मन तथा आत्मा में कोई भेद नहीं रह जाता, क्योंकि बात्मा को भी वस्तुओं का बोध होता है। इन दोनों के बीच का स्पष्ट भेद यह है कि मन मानेन्द्रियों पर आश्रित होता है, परन्तु आत्मा के लिए ऐसे आश्रय की आवश्यकता नहीं है। इसी प्रकार, विशेषावश्यक भाष्य में भी मानसिक प्रक्रियाओं में रूप में मन की परिभाषा दी गयी है। नन्वीसूत्र में कहा गया है कि मन सब कुछ ग्रहण करता है (सर्वार्षब्रहणं मनः)
यह परिभाषाएं बड़ी महत्त्व की हैं, क्योंकि इनमें मन द्वारा ग्रहण की जानेवाली वस्तुओं की सूची से आत्मा को अलग रखा गया है। जब आदमी सर्वज्ञ की स्थिति पर पहुंच जाता है तो आत्मा, मन या इन्द्रियों की सहायता के बिना, प्रत्यक्ष ज्ञान प्राप्त करने में समर्थ होता है। इसलिए स्पष्ट है कि मन की अपनी सीमाएं हैं । मन परिपूर्ण ज्ञान की प्राप्ति में सहायक नहीं होता, इसीलिए जैन दार्शनिकों ने इसे केवलमान के मार्ग की एक स्पष्ट बाधा माना है।
उपर्युक्त परिभाषाओं एवं व्याख्यानों का एक स्पष्ट परिणाम यह है कि मन तथा आत्मा एक-दूसरे से भिन्न हैं। विभेद के इस सिद्धांत के प्रकाश में तथा जैनों द्वारा मान्य मन की सीमा के आधार पर हमें उनके द्वारा खण्डित बौद्ध सिद्धांत को समझने में आसानी होती है । जैनों द्वारा अस्वीकृत बौद्ध सिद्धांत पर विचार करने से हमें मन के जैन सिद्धांत के सही स्वरूप को समझने में सुविधा होती है। इस विवेचन से जैनों द्वारा मान्य आत्मा की विशेषता भी स्पष्ट हो 5. 'जंन साइकोलाजी', पृ. 69 6. 'प्रमाण-मीमांसा', I. 1.24 7.वही, टीका 8. "विशेषावश्यक भाष्य',3525 9. यह एक दिलचस्प बात है कि मन का ऐसा विश्लेषण-इसकी क्रियाओं के रूप में इसकी परिभाषा करना- केवल भारतीय चिन्तन में, अपितु पाश्चात्य मनोविज्ञान में भी देखने को मिलता है। विलियम मैकडूगल अपने अन्य 'आउटलाइन्स' बॉफ साइकोलाजी', पु. 36 में कहते हैं कि हमें सभी संभव मानवीय क्यिा-कलापों का अध्ययन करने के बाद ही मन का विवेचन करना चाहिए और फिर इनके आधार पर मन के स्वरूप एवं स्वभाव का निर्धारण करना चाहिए। आगे उसी अंध में (1042) बहकहते है कि स्वभाव तथा अन्तरालोकन इन दोनों के तथ्यों से अनुमान के वाधार पर हमें जानकारी हासिल करनी चाहिए।