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________________ पार्श्व और महावीर 3 पार्श्व और महावीर की ऐतिहासिकता लगभग सिद्ध है। अब हमें यह जानना है कि महावीर ने पार्श्व के उपदेशों को किस हद तक बदला है। पार्श्व तेईसवें तीर्थंकर थे और महावीर चौबीसवें, यह अब सिद्ध हो चुका है; फिर भी इन दोनों की तिथियों के बारे में विद्वानों में अब भी मतभेद है। एक मत यह है कि पार्श्व का जन्म लगभग 872 ई० पू० में हुआ था और 772 ई० पू० के आसपास उन्हें निर्वाण प्राप्त हुआ, और महावीर 598 ई० पू० में पैदा हुए और 526 ई० पू० में उनका देहावसान हुआ। दूसरे मत के अनुसार, पार्श्व 817 ई० पू० में पैदा हुए और महावीर 599 ई० पू० में । जैन साहित्य में पार्श्व तथा महावीर के मतों की भिन्नता के स्पष्ट उल्लेख मिलते हैं । भगवती सूत्र में पार्श्व के चार यामों में और महावीर के पांच यामों में भेद किया गया है। प्रसंग यह है कि एक बार पार्श्व के एक अनुयायी (पावपत्यिक) और महावीर के एक अनुयायी के बीच वाद-विवाद होता है । अन्त में पाव का अनुयायी चातुर्याम के स्थान पर महावीर के संशोधित पंचयामों को स्वीकार करता है और महावीर के संघ में शामिल होने की इच्छा व्यक्त करता है ।" याकोबी ने इस अन्तर के लिए बौद्ध ग्रन्थ सामफलसुल में भी सबूत खोजा है। चातु-याम-संवरसंयुतो नामक सूत्र के बारे में लिखते हुए वे कहते हैं: "इसका सम्बन्ध महावीर के पहले के तीर्थंकर पार्श्व के चातुर्याम धर्म से है और महावीर के संशोधित पंचयाम धर्म से इसका भेद स्पष्ट हो जाता है । "2 पंचयाम यानी पांच महाव्रत ये हैं अहिंसा, सूनृता, अस्तेय, ब्रह्मचर्य और अपरिग्रह । पार्श्व के चातुर्याम में ब्रह्मचर्य का समावेश अपरिग्रह के अंतर्गत होता था । 1 महावीर के पंचयाम धर्म का स्पष्ट उल्लेख आचारांग में भी मिलता है।" इसी प्रकार, उत्तराध्ययन में भी पार्श्व के चातुर्याम और महावीर के पंचग्राम के 1. I. 76 2. ६० ए०, IX, पु० 160 3. II, 15, 29
SR No.010094
Book TitleJain Darshan ki Ruprekha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorS Gopalan, Gunakar Mule
PublisherWaili Eastern Ltd Delhi
Publication Year
Total Pages189
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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