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महावीर के पहले जैन धर्म
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जैन धर्म के बारे में जो कई भ्रांतियां हैं, उनमें से एक यह है कि महावीर इस धर्म के संस्थापक थे। परन्तु विद्वानों ने गहरी खोजबीन करके दर्शाया है कि महावीर के पहले भी जैन धर्म का अस्तित्व था, यद्यपि यह बताना कठिन है कि इस धर्म का जन्म ठीक किस समय हुआ । सी० जे० शाह लिखते हैं : "जैन धर्म के जन्म का समय निर्धारित करना कठिन ही नहीं, असंभव है। परन्तु आधुनिक अन्वेषण ने अब हमें एक ऐसे स्थान पर पहुंचा दिया है जहां से घोषणा करते हुए हम कह सकते हैं कि जैन धर्म को बौद्ध या ब्राह्मण धर्म की एक शाखा सिद्ध करने वाले विचार गलत थे, अज्ञान पर आधारित थे...। वस्तुतः अब हम अनुसंधान के क्षेत्र में एक कदम और आगे बढ़ गये हैं। अब बिना किसी नये पुष्ट प्रमाण के यह कहना कि जैन धर्म का उदय महावीर के साथ हुआ है, एक ऐतिहासिक भ्रांति ही कहलायेगा । क्योंकि अब यह एक मान्य तथ्य है कि जैनों के तेईसवें तीर्थकर पाश्वं एक ऐतिहासिक पुरुष थे, और जिन-पुरुष महावीर तीर्थंकरों की महत्मंडली में मात्र एक धर्म-सुधारक थे।" ____ अतः स्पष्ट है कि यदि हम महावीर को जैन धर्म का संस्थापक मानते हैं तो फिर इस धर्म की प्राचीनता को स्वीकार करने में कठिनाई होती है । जनों की मान्यता है कि उनका धर्म अनादि-अनन्त काल से चला आ रहा है और प्रत्येक युग में चौबीस तीर्थंकरों ने इसका उपदेशन किया है। वर्तमान युग के प्रथम तीर्थकर ऋषभनाथ माने जाते हैं और अंतिम तीर्थंकर महावीर । अतः, जैन परम्परा के अनुसार ही, महावीर एक ऐसे धर्म-सुधारक थे जिन्होंने गलत रास्ते पर जा रही जनता के लिए कुछ नैतिक नियमों की नये सिरे से व्याख्या की और उनमें नये प्राण फूंके।
1. पूर्वो०.1.2 2. जैन परम्परा के अनुसार, हमारे युग के अन्य बाईस (दूसरे से तेईसवें तक) तीर्थकर हैं:
अजित, संभव, अभिनंदन, सुमति, पद्मप्रभ, सुपात्र, चन्द्रमा, पुष्पदंत या सुविधि, शीतल, श्रेयांस, वासुपूज्य, विमल, अनन्त, धर्म, शान्ति, कुन्छ, बर, मल्लि, मुनिसुबत, निमि, मेमि या अरिष्टनेमिनार पावनाम।