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________________ २१६ ] जैन दर्शन के मौलिक तस्व extending to Australia. The Professor mentioned, further an out the Gondwanaland theory, the ling fish, which can live out of water as well as in it, is found in fresh water only in South Africa and South America, the two species being almost indistinguishable. Dr. Du Joit ( South Africa ) declared that the former existance of Gondwanaland and was almost indisputable...... अर्थात् प्रो० वाटसन ने प्राणी- विज्ञान की अपेक्षा -दृष्टि से विवेचन करते हुए बताया कि इन द्वीप-महाद्वीपों में पाये जाने वाले कृमियों (Reptiles) में बड़ी भारी समानता है । उदाहरणस्वरूप कारू का विचित्र सांप दक्षिणी अमेरिका, भेडागास्कर ( अफ्रिका का निकटवर्ती अन्तर द्वीप ) हिन्दुस्थान स्ट्रेलिया में भी पाया जाता है । अत एव उन्होंने इन प्रमाणों द्वारा यह परिणाम निकाला कि दक्षिणी अमेरिका, अफ्रिका और सम्भवतः आस्ट्रंलिया तक फैला हुआ भूमध्य रेखा के निकटवर्ती कोई महाद्वीप अवश्य था जो अब नहीं रहा। इसी के समर्थन में उन्होंने एक विशेष प्रकार की मछली का भी बयान किया जो जल के बाहर अथवा भीतर दोनों प्रकार जीवित रहती है । तत्पश्चात् दक्षिणी अफ्रिका के डा० डूरो ने अनेक प्रमाणों सहित इस बात को स्वीकार किया कि गौंडवाना लैंड की स्थिति के सम्बन्ध में अब कोई विशेष मतभेद नहीं है । समय - समय पर और मी अनेक परिवर्तन हुए हैं। यह दिखलाने के लिए “वीणा” वर्ष ३ अंक ४ में प्रकाशित एक लेख का कुछ अंश उद्धृत करते हैं जिसका हमारे वक्तव्य से विशेष सम्बन्ध है : " सन् १८१४ में 'अटलांटिक' नाम की एक पुस्तक प्रकाशित हुई थी । उसमें भारतवर्ष के चार चित्र बनाये गए हैं :- पहले नक्शे में ईशा के पूर्व १० लाख से ८ लाख वर्ष तक की स्थिति बताई गई है। उस समय भारत के उत्तर में समुद्र नहीं था । बहुत दूर अक्षांश ५५ तक धरातल ही था, उसके उपरान्त ध्रुव पर्यन्त समुद्र था । ( अर्थात् नोरवे, स्वीडन आदि देश भी विद्यमान न थे )
SR No.010093
Book TitleJain Darshan ke Maulik Tattva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNathmalmuni, Chhaganlal Shastri
PublisherMotilal Bengani Charitable Trust Calcutta
Publication Year1990
Total Pages543
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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