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१५ कोटा कोटि सागर
१० कोटा कोटि सागर
२० कोटा कोटि सागर
५६ तिर्यञ्च गतिनाम तिर्यञ्चानुपूर्वीनाम यथा नपुंसक वेद । ५८ मनुष्य गतिनाम, मनुष्यानुपूर्वी नाम एक सागर के " भाग में पल्य का
असंख्यातवा भाग कम। ६. देव-गति-नाम, देवानुपूर्वीनाम हजार सागर भाग में पल्य का
असंख्यातवां भाग कम। ७२ एकेन्द्रिय, जातिनाम, पंचेन्द्रिय एक सागर के भाग में पल्य जातिनाम, औदारिक चतुष्क
का असंख्यातवां भाग कम (शरीर, अंगोपांग, बंधन, संघातन) सेजस, कार्मण दोनों कालिक
(शरीर, बन्धन, संघातन) ७५ द्वीन्द्रिय, त्रीन्द्रिय, चतुरिन्द्रिय, जातिनाम एक सागर के भाग में पल्य का
असंख्यातवां भाग कम। आहारक चतुष्क, तीर्थंकर नाम अन्तः कोटा कोटि सागर वऋषभनाराच संहनन नाम
हास्यवत् समचतुरस्त्र-संस्थान नाम ऋषभनाराच-संहनन नाम
एक सागर के 4 वें भाग में पल्य म्यगोष परिमण्डल संस्थान नाम का असंख्यातवां भाग कम
जैन दर्शन के मौलिक तत्त्व
१८ कोटा कोटि सागर
अन्तः कोटि कोटि सागर
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१२ कोटा कोटि सागर
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