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________________ जैन दर्शन के मालिक तय [११० (1) र संस्थान-नाम-इसके हेतुभूत कर्म-पुद्गल । सब अवयव वेदन या प्रमाणशक्य होते हैं, यह हुंड-संस्थान है। ६-वर्ण नाम-इस कर्म के उदय का शरीर के रंग पर प्रभाव पासा - (क) कृष्ण-वर्ण-नाम-स कर्म के उदय से शरीर का रंग काला हो जाता (ख) नील-वर्ण-नाम-" " " " " " " " नीला , "" (ग) लोहित-वर्ण-नाम-- " " " » » » » लाल » » » (घ) हारिद्र-वर्ण नाम-, , , , , , , , पीला " ," (ज) श्वेत-वर्ण-नाम- ", , , , , , सफेद , , , १०-गन्ध नाम-इस कर्म के उदय का शरीर के गन्ध पर प्रभाव पड़ता है। (क) सुरमि-गन्ध-नाम-इस कर्म के उदय से शरीर सुगन्धवासित होता है। (ख) दुरभि-गन्ध-नाम-इस कर्म के उदयं से शरीर दुर्गन्धबासित होता है। ११-रस नाम-इस कर्म के उदय का शरीर के रस पर प्रभाव पड़ता है। (क) तिक्त-रस नाम-इस कर्म के उदय से शरीर का रस तिक्त होता है। (ख) कटु रस नाम- , , , , , , , , कडुना होता है। (ग) कषाय-रस-नाम-, , , , , , , , कसैला होता है। (घ) आम्ल-रस-नाम-, , , , , , , , खट्टा " " (क) मधुर-रस-नाम-" " , , , , , , मीठा " . १२-स्पर्श-नाम-इस कर्म के उदय का शरीर के स्पर्श पर प्रभाव पड़ता है। (क) कर्कश-स्पर्श-नाम-इस कर्म के उदय से शरीर कठोर होता है। (ख) मृदु " "-" " " " " , कोमल , , (ग) गुरु , "-" " " " " " मारी " " (घ) लघु , , (0) स्निग्ध , , , , , , , , चिकना , . (च) रूक्ष , , (क) शीत , "-" " " " " " ठंडा , " (ज) उष्ण " "-" " " " " " गरम » , (१३) बगुलामु नाम-नस कर्म के उदय से शरीर म सम्हला सके बेसा भारी मी नहीं होता और हवा में उड़ जाए वैसा हल्का भी नहीं होता। रूखा
SR No.010093
Book TitleJain Darshan ke Maulik Tattva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNathmalmuni, Chhaganlal Shastri
PublisherMotilal Bengani Charitable Trust Calcutta
Publication Year1990
Total Pages543
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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