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जैन - भक्तिकाव्यको पृष्ठभूमि
श्रुत-साहित्य - ७४
श्रुतकी
२: श्रुत-भक्ति 'श्रुत' की परिभाषा - ७४, महिमा - ७६, श्रुत देवीकी उपासना- ७७, श्रुतधरोंकी वन्दना - ७९, शास्त्रपूजन - ८०, ज्ञानपूजन- ८१, श्रुतके अंगोंकी भक्ति - ८२, श्रुतभक्तिका
फल-८३ ।
३. चारित्र - भक्ति : ' चारित्र' की व्युत्पत्ति - ८४, सम्यक्चारित्रको परिभाषा - ८४, चारित्र और तत्त्वार्थश्रद्धान- ८५, चारित्र भक्ति - ८६ ।
४. योगि- भक्ति : ' योगि' की व्युत्पत्ति और परिभाषा - ८७, योगिभक्ति - ८८ ।
५. आचार्य - मक्ति : 'आचार्य' की व्युत्पत्ति - ११, धर्मशास्त्रोंके आधारपर आचार्यको परिभाषा - ९२, आचार्य के पर्यायवाची शब्द और उनकी व्युत्पत्ति - ९३, आचार्य भक्ति - ९३, आचार्योंका स्मरण - ९५, आचार्य - भक्तिका फल - ९६ ।
!
: पंचपरमेष्ठि-भक्ति : पंचपरमेष्ठी - ९७, परमेष्ठी शब्द और उसकी व्याख्या - ९८ णमोकार मन्त्र और उसका महत्त्व - १००, पंचपरमेष्ठि
भक्ति - १०३ ।
तीर्थंकर भक्ति : 'तीर्थंकर' शब्दका अर्थ - १०५; मुनि और तीर्थंकर में भेद - १०६, तीर्थकरके पर्यायवाची नाम- १०८, तीर्थकरोंकी संख्या - १०८, तीर्थंकर भक्ति - ११०, लघुता - ११०, शरण - १११, गुण-कीर्तन - १११, दास्यभाव - ११२, नाम - कीर्तन - ११२, दर्शन मात्र - ११३, पापविनाशक - ११३, अन्यसे महत्ता - ११३, अंगोंकी सार्थकता - ११४ ।
८. शान्ति भक्ति: शान्तिका तात्पर्यार्थ - ११५, शान्ति भक्तिकी परिभाषा - तीर्थंकर शान्तिनाथको भक्ति - ११७,
११५, शान्ति भक्ति - ११६, शान्ति यन्त्र की पूजा - ११८ ।
"समाधि-भक्ति : 'समाधि' शब्दकी व्युत्पत्ति - ११९, समाधिके भेद११९, समाधि-भक्तिकी परिभाषा - १२०, समाधिमरणकी याचना - १२१, समाधिस्थलों का सम्मान - १२२ ।
१०. निर्वाण-भक्ति : 'निर्वाण' शब्दको व्युत्पत्ति - १२३, परिभाषा - १२४, पंचकल्याणक स्तुति - १२४, तीर्थक्षेत्रों के भेद - १९२५, तीर्थक्षेत्र स्तुति - १२६, तीर्थ-यात्राएँ - १२९ ।
७.
९.
११.
३. नन्दीश्वर-मक्ति: नन्दीश्वर द्वीप - १३२, नन्दीश्वर भक्तिको परिभाषा - १३३, अष्टाह्निक- पर्व - १३३, नन्दीश्वर स्तुति- १३४ ।