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विषय सूची
१. जैन - भक्तिका स्वरूप
१-२२
'भक्ति' शब्दको व्युत्पत्ति - १, भक्ति और सेवा-१, भक्ति और श्रद्धा-४, भक्ति और अनुराग - ८, वीतरागी भगवान् में अनुराग - ९, वीतरागी भगवान्का प्रेरणाजन्य कर्तृत्व- १२, भक्ति और ज्ञानका सम्बन्ध - १६ ।
२. जैन-भक्तिके अंग
२३-६३
१. पूजा-विधान : पूजाको व्युत्पत्ति और परिभाषा - २३, पूजाके भेद - २५, विविध आचार्योंकी दृष्टिमें जैन- पूजा - २७, पूजाके ग्रन्थ-२८ । २. स्तुति स्तोत्र : जैन-स्तुतिकी परिभाषा - २८, जैन-स्तुतिका अभिप्राय२६, पूजा और स्तोत्रमें भेद - २९, प्राचीन जैन स्तोत्र - ३० ।
३. संस्तव, स्तत्र और स्तवन : परिभाषा - ३६,
स्तव और स्तोत्र में भेद -
३७, स्तवके भेद - ३८, स्तव साहित्य - ३८ ।
४. वन्दना : वन्दनाकी परिभाषा - ४२, अर्हन्तकी वन्दना - ४३, चैत्यवन्दन४३, वन्दना और पूजामें भेद - ४४, वन्दना - साहित्य - ४४, श्रुत-साहित्य में
वन्दनाका स्थान- ४५ ।
५. विनय : विनयकी परिभाषा - ४६, जैनोंकी ज्ञान-विनय ४६, दर्शनविनय - ४६, चारित्र - विनय - ४७, उपचार - विनय - ४८, विनयका फल - ४९ । ६. मंगल : व्युत्पत्ति - ४९, मंगलके भेद और उनकी परिभाषा - ५१, मंगल का प्रयोजन- ५१, मंगलके पर्यायवाची - ५२, कतिपय प्राचीन मंगलाचरण - ५२ ।
७. महोत्सव : जन्मोत्सवपर इन्द्रका नृत्य - ५६,
जैन - उत्सवोंमें नाटकों का
आयोजन - ५७, राजस्थानीय अभिनेता और रास-५८, रथ-यात्रा महोत्सव - ५९, जैनोंके अन्य महोत्सव - ६१ ।
३. जैन - भक्तिके मेद VD
६४-१४०
१. सिद्धमति: 'सिद्ध' का स्वरूप - ६५, सिद्ध और अर्हन्तमें भेद - ६९, 'सिद्ध-भक्ति-७२ ।
महत्त्वपूर्ण प्रश्न - ७१,