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* जेल में मेरा जैनाभ्यास *
[तृतीय
३-एक रसके पुद्गलके पाँच वर्ण, दो गन्ध, आठ स्पर्श, और पाँच संस्थान हो सकते हैं। इस प्रकार एक रसके पुद्गलके बीस भेद हुये और कुल रस पाँच हैं। इसलिये कुल रसके भेद सौ हुये । (१००)
४-एक स्पर्शक पुद्गलके पाँच वर्ण, पाँच रस, दो गन्ध, पाँच संस्थान और छह स्पर्श हो सकते हैं। इसलिये एक स्पर्शके पुद्गलके तेईस भेद हुए और स्पर्श आठ प्रकार के हैं। इसलिये कुल भेद एक सौ चौरासी हुए । (१८४) ___ गुरु लघु नहीं होता, चिकना खुरखुरा नहीं होता, ठंडा गरम नहीं होता। इस प्रकार इस अपेक्षासे स्पर्श के केवल बह भेद ही पाये जाते हैं।
५-संस्थान पाँच प्रकारक माने हैं। गोल, त्रिकोण, चतुर्भुज, परिमण्डल (चूड़ी जैसा) और लम्बायमान (लकड़ी जैसा लम्बा) ।
प्रत्येक संस्थानके पाँच वर्ण, दो गन्ध, पाँच रस और आठ स्पर्श, इस अपेक्षासे बीस भंद हुए। कुल संस्थान पाँच है। इसलिये संस्थान-आश्रित कुल भेद सौ हुए । (१००)
अजीव अरूपी और रूपी व्यके सब मिलकर ३० + १०० + ४६+ १००+१८४ + १०० = ५६० भेद हुए।
शास्त्रकारोंने पुद्गलके छह भेद अन्य अपेक्षास भी किये हैं। यथा