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* नवतत्त्व अधिकार *
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धर्मास्तिकाय, अधर्मास्तिकाय, आकाशास्तिकाय और काल, इन चार द्रव्योंके द्रव्य, क्षेत्र, काल, भाव और गुणकी अपेक्षासे बोस भेद हुये । (२०)
धर्मास्तिकाय, अधर्मास्तिकाय और आकाशास्तिकाय, इन तीनोंके स्कन्ध, देश और प्रदेश अलग-अलग होते हैं। इसलिये इम प्रकारसे इनके नौ भेद और हुये और कालका केवल एक ही भेद होता है। इसलिये सब मिलाकर इनके दस भेद इस अपेक्षासे और हुये। (१०)
इस प्रकार अरूपी अजीव द्रव्योंके कुल भेद तीस हुये । (३०)
वर्णके पाँच प्रकारके पुद्गल, गन्धके दो प्रकारके पुद्गल, रसके पाँच प्रकारकं पुद्गल, स्पर्शके आठ प्रकारके पुद्गल और संस्थानके पाँच प्रकार कहे गये हैं।
१-एक वर्णके पुद्गलके दो गन्ध, पाँच रस, आठ स्पर्श और पाँच संस्थान हो सकते हैं। इस प्रकार एक वर्णके पुद्गलके बीस भेद होते हैं। कुल वर्ण पाँच प्रकार के हैं। इसलिये कुल वर्णके सौ भेद हुये । (१००)
२-एक गन्धके पुद्गलके पाँच वर्ण, पाँच रस, आठ स्पर्श और पाँच संस्थान हो सकते हैं । इस प्रकार तेईस भेद हुये और चूंकि गन्ध दो प्रकारकी होती है। इस कारण गन्धके छयालीस भेद हुये । (४६)