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* जेल में मेरा जैनाभ्यास *
[तृतीय
हुआ है पर वे मुनियोंकी क्रिया ठीक-ठीक पालते हैं। इस गुणस्थानवाले मुनि जघन्य उसी भवमें और उत्कृष्ट तीन तथा पन्द्रह भवमें मोक्ष प्राप्त करते हैं ।
७ - सातवाँ गुणस्थान - इस गुणस्थानको वे मुनि प्राप्त करते हैं जिन्होंने मद, विषय, कषाय, निन्दा, विकथा आदि दूर कर दी हैं अर्थात् निर्मल और स्वच्छ साधुपना पालते हैं । इस गुणस्थान वाले मुनि ज्यादा-से-ज्यादा तीन भवमें और कम-से-कम उसी भवमें मोक्ष प्राप्त करते हैं।
-- आठवाँ गुणस्थान — इस गुणस्थान से मुनिका मोह जो बड़ा बलिष्ठ और प्रबल कर्म है उसके साथ युद्ध शुरू हो जाता है । जो मुनि मोहको दबाता लेते हैं पर सर्वथा निर्मूल नहीं कर पाते हैं वे नौवें तथा दसवें गुणस्थानको प्राप्त करते हुए ग्यारहवें गुणस्थानको प्राप्त कर लेते हैं और वहाँ जाकर उनका दबा हुआ मोह मानिन्द दबी भाके उमड़ पड़ता है और वे मुनि नीची अवस्था में गिर जाते हैं। पर जो मुनि मोहको सर्वथा निर्मूल करते चले जाते हैं वे नौवें तथा दसवें में होते हुये और ग्यारहवेंका छोड़ते हुये बारहवें गुणस्थानको प्राप्त कर लेते हैं । वहाँसे वे ऊपर के गुणस्थानों में चढ़ते हुये मोक्षको प्राप्त करते हैं। ज्यादा-से-ज्यादा तीन भव और कम-से-कम उसी भवमें वे मोक्ष प्राप्त करते हैं।
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१ – १० – नौवें व दसवें गुणस्थानोंमें मुनि माह कर्मकी प्रकृतियोंको कम करते हैं और शान्त स्वरूपके। प्राप्त करते