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* जेलमें मेरा जैनाभ्यास *
[तृतीय
१-कृष्ण लेश्या, २-नील लेश्या, ३-कापोत लेश्या, ४-तेजो लेश्या, ५-पद्म लेश्या और ६-शुक्ल लेश्या। ___ नीचे लिखे दृष्टान्तसे छहों लेश्याओं का स्वरूप प्रासानीसे समझमें आ जायगा। ___ कोई छहों पुरुष जम्बू फल खाने की इच्छा करते हुए चले जा रहे थे। इतनेमें जामुनके :वृक्षको देख कर उनमेंसे एक पुरुष बोला-“लीजिये, जामुनका वृक्ष तो आ गया। अब फलोंके लिये ऊपर चढ़नेकी अपेक्षा फलोंसे लदी हुई बड़ी-बड़ी शाख वाले इस वृक्ष को काट गिराना ही अच्छा है।" यह सुन कर दूसरेने कहा-"वृक्ष काटनेसे क्या लाभ ? केवल शाखाओंको काट दो।" तीसरंने कहा- यह भी ठीक नहीं, छोटी-छोटी शाखाओंको काट लेनेसे भी तो काम निकल सकता है।” चौथेने कहा-"शाखायें भी क्यों काटते हैं ? फलोंके गुच्छोंको तोड़ लीजिये ।' पाँचवाँ बोला-"गुच्छोंसे क्या प्रयोजन ? उनमेंसे कुछ फलोंको ही ले लेना अच्छा है।” अन्तमें छठे पुरुषने कहा-"ये सब विचार निरर्थक हैं: क्योंकि हम लोग जिन फलों को चाहते हैं, वे तो नीचे भी बहुतसे गिर पड़े हैं। क्या उनसे अपना प्रयोजन सिद्ध नहीं हो सकता ?" ___ इस दृष्टान्तसे लेश्याओंका स्वरूप स्पष्ट जाना जा सकता है। छहों पुरुषोंमें पूर्व-पूर्व मनुष्योंके परिणामोंकी अपेक्षा उत्तर-उत्सर मनुष्यों के परिणाम शुभ, शुभतर और शुभतम पाये जाते हैं।