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खण्ड ]
* मनुष्य जीवनकी सफलता *
अनन्त जीव हैं या यों कहना चाहिये कि सारा ब्रह्माण्ड जीवोंसे ठसाठस भरा हुआ है ।
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समस्त लोक अथवा समस्त संसारमें जितने जीव हैं, वे दो प्रकार के हैं। एक भव्य और दूसरे अभव्य । भव्य जीव वे हैं, जिनमें सिद्धपद प्राप्त करनेकी शक्ति है और भव्य जीव वे हैं जो सिद्धगति प्राप्त नहीं कर सकते । भव्य जीव भी दो प्रकारके होते हैं। एक वे जो सिद्धगति प्राप्त कर सकते हैं। दूसरे वे जिनमें सिद्धगति प्राप्त करनेकी सत्ता तो है, पर वे सिद्ध गति प्राप्त करने के साधन नहीं पाते ।
अब आप अनुभव कर सकते हैं कि बहुतसे जीव तो सिद्ध गतिका प्राप्त ही नहीं कर सकते। इनके अतिरिक्त बहुतसे जीव ऐसे हैं, जो कि साधनों के अभाव से सिद्धगति नहीं पा सकते । सिर्फ कम जीव ऐसे हैं जो यदि पुरुषार्थ - पराक्रम करें तो उस अमर पदको प्राप्त कर सकते हैं 1
इसके अतिरिक्ति एक दूसरी दृष्टिसे भी विचार करनेपर मनुष्य गतिका प्राप्त करना आपको अति कठिन प्रतीत होगा । यथा - नित्येतर निगोदमें अनन्त जीव पड़े हुए हैं। जिनमेंसे अनन्त जीव ऐसे हैं जिनको अनन्त कालसे आज तक उसमेंसे निकलने का अवसर ही नहीं मिला है अर्थात् उनका इतना पुण्यका उदय नहीं हुआ कि वे उस अवस्थासे निकल सकें। जब जीव