________________
* जेलमें मेरा जैनाभ्यास *
[द्वितीय
असंख्यात प्रदेश हैं । पुद्गल के संख्यात, असंख्यात और अनन्त प्रदेश हैं । यद्यपि पुद् गलका शुद्ध अविभागी एक परमाणु एक ही प्रदेशवाला है परन्तु पुद्गल परमाणुओं में मिलने-बिल्लुरनेकी शक्ति है, इस कारण अनेक स्कन्ध दो-दो परमाणुओंके और अनेक तीन-तीन, चार-चार परमाणुओंके हैं। इसी प्रकार संख्यात परमाणुओं के तथा असंख्यात और अनन्त परमाणुओं के भी स्कन्ध हैं ।
२०२
यहाँ यह प्रश्न हो सकता है कि लोकाकाश तो असंख्यात प्रदेशी है और पुद्गल के अनन्तानन्त परमाणु हैं तथा स्कन्ध अनन्त परमाणुओं के हैं तो फिर वे लोकाकाशमें कैसे समाते होंगे ?
इसका उत्तर यह है कि पुद्गल के परिणमन दो प्रकार के हैं: - एक सूक्ष्म परिणमन और दूसरा स्थूल परिणमन । सो जब इनका सूक्ष्म परिणमन होता है, तब आकाश के एक ही प्रदेश में अनन्त परमाणु आ सकते हैं। इसके अतिरिक्त आकाश में अवकाश देने की भी शक्ति है। इस कारण यह दोष नहीं आता है।
शुभ-अशुभ कर्मों के भी पुद्गल होते हैं।
इस प्रकार सुख-दुःख, जीना मरना आदि बातें केवल पुद्गलों के परिणाम हैं। जब तक पुद्गल स्वतन्त्र है, उस समय तक वह कोई फल नहीं दे सकता । लेकिन जब वह आत्माके साथ हो जाता है, तब वह अपने गुणानुसार जीवको फल देता है । पुद्गल द्रव्य स्पर्श, रस, गन्ध और वर्ण वाले होते हैं ।