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* जेलमें मेरा जैनाभ्यास *
द्वितीय
और किसी जीवके कितने ही। उदाहरणकेलिये, 'सूक्ष्म पृथ्वीकाय'के जीवको लीजिए। उसमें:
१--शरीर-औदारिक, तैजस और कार्मण । २-अवगाहना-जघन्य उत्कृष्ट अंगुलके असंख्यातवें भाग। ३-संहनन-सेवार्त। ४-संस्थान-मसूर की दाल व अर्धचन्द्रमाके आकारका । ५-कषाय-क्रोधादि चारों कपाय । ६-संज्ञा-आहार, भय, मैथुन और परिग्रह । 5-लेश्या-कृष्ण, नील और कापोत । ८-इन्द्रिय-स्पर्शेन्द्रिय ।
-समुद्घात-वंदनीय, कपाय और मारगान्तिक । १०-संज्ञी या असंज्ञो-असंजी। ११-वेद-नपुंसक वेद। १२-पर्याप्रि-आहारपर्यानि, शरीरपयामि, इन्द्रियपयामि और श्वासोच्छासपर्याप्ति । १३-दृष्टि-मिथ्या दृष्टि। १४-दर्शन-अचक्षुर्दशन। १५-ज्ञान-मति-अज्ञान और अत-अम्मान । १६-योग-काययोग। १७-उपयोग-साकारोपयुक्त और अनाकारोपयुक्त ।