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खण्ड
* कर्म अधिकार *
आयुर्वन्धका नियम आयुका बन्ध एक भवमें एक ही बार होता है। आयु कर्मकेलिये यह नियम है कि वर्तमान आयुका तीसरा, नवाँ या सत्ताईसों आदि भाग बाकी रहनेपर ही परभवके आयुका बन्ध होता है। ____ इस नियमके अनुसार यदि बन्ध न हो तो अन्तमें जब वर्तमान प्रायु, अन्तर्मुहूर्त प्रमाण बाकी रहती है, तब अगले भवकी आयुका बन्ध अवश्य होता है।
संसारमें प्रत्येक प्राणी हर समय अर्थात् सोते-जागते, चलते-फिरते, खाते-पीते इत्यादि कार्य करते समय कर्म-बन्ध किया करता है, चाहे वह शुभ हो या अशुभ हो । जैसे-जैसे वचन, काय और मनकी भावनाएं हुआ करती हैं, उसीके अनुसार कम-बन्ध हुआ करता है। अगर हमारे अनजानपनेमें हमारी कायसे कोई क्रिया हो जाती है तो कम-बन्ध अवश्य होता है। अगर हम कोई बाहियात क्रिया नहीं करते हैं, सिर्फ मनसे ही विचार करते हैं तो भी कर्म-बन्ध अवश्य होता है। इसी प्रकार वचनसे भी कर्मबन्ध हुआ करता है। ज्यादातर कर्मबन्धको कारण हमारा मन है। मन हर समय कुछ-न-कुछ सोचा-विचारा ही करता है और जैसी-जैसी मनो-वृत्ति होती रहती है, उसीके अनुसार शुभ अथवा अशुभ कर्मोका बन्ध हुआ करता है।