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* जेलमें मेरा जैनाभ्यास *
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इन्द्रियप्रत्यक्ष, नोइन्द्रियप्रत्यक्ष, द्रव्य-इन्द्रियप्रत्यक्ष, भाव-इन्द्रियप्रत्यक्ष, निवृत्ति और उपकरण आदि । ___२-जिस अनुमानसे वस्तुका ज्ञान हो, उसे 'अनुमान प्रमाण' कहते हैं । जैसे-किसीका पुत्र बाल्यावस्थामें विदेश गया हो और युवा होकर पीछे आवे, तब उसके घरवाले शरीराकृति, वर्ण, तिल आदिसे पहिचानें; मयूरको उसके शब्दसे; रथको झझन शब्दसे पहिचानें आदि। इसके भी शास्त्रकारोंने कई भेदानुभेद किये हैं । जैसे-पुव्वं, मव्वं, दिट्टी आदि ।
३-ज्ञानी पुरुषोंद्वारा कथित शास्त्रांसे वस्तुका जो ज्ञान होता है, उसे 'आगम प्रमाण' कहते हैं। इसके भी शास्त्रकारोंने कई भेद किये हैं। जैसे-सूत्रागम, अर्थागम और तदुभयागम आदि ।
४-किसी अन्य वस्तुकी सदृशता बतलाकर किसी मुख्य वस्तुका ज्ञान कराना, उस 'उपमा प्रमाण' कहते हैं । जैसे भविष्यकाल में प्रथम तीर्थकर श्रीपद्मनाथजी कैसे होंगे ? तो कहा कि वर्तमानके अन्तिम तीर्थङ्कर श्रीमहावीर भगवान् जैसे । पल्योपम व सागरोपमका समय बतानेकेलिये कुएँ का दृष्टान्त देते हैं, इत्यादि।
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