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खण्ड]
* अनेकान्तवाद *
सभी वस्तुओंमें सत्, असत्, नित्य और अनित्य आदि गुण पाये जाते हैं।
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मान लीजिये एक घड़ा है। हम देखते हैं कि जिस मिट्टी से घड़ा बना है, उसीसे और भी कई प्रकारके बर्तन बनते हैं । पर यदि उस घड़ेको फोड़कर हम उसी मिट्टीका बनाया हुआ कोई दूसरा पदार्थ किसीको दिखलावें तो वह कदापि उसको घड़ा नहीं कहूंगा। उसी मिट्टी और द्रव्यके होते हुए भी उसको घड़ा न कहनेका कारण यह है कि उसका आकार घड़ेका-सा नहीं है।
इससे सिद्ध होता है कि घड़ा मिट्टीका एक आकार - विशेष है । मगर यह बात ध्यान में रखनी चाहिये कि आकार - विशेष मिट्टी से सर्वथा भिन्न नहीं हो सकता। आकार परिवर्तित की हुई मिट्टी ही जब घड़ा, सिकोरा, मटका आदि नामोंसे सम्बोधित होती है तो उसी स्थिति में आकार मिट्टी से सर्वथा भिन्न नहीं कहे जा सकते। इससे साफ जाहिर है कि घड़ेका आकार और मिट्टी, ये दोनों घड़ेके स्वरूप हैं । अब देखना यह है कि इन दोनों स्वरूपों में विनाशी रूप कौनसा है और ध्रुव कौनसा है ? यह प्रत्यक्ष दृष्टिगोचर होता है कि घड़ेका आकार स्वरूप विनाशी है; क्योंकि उसके कई रूप बनते और बिगड़ते रहते हैं । और घड़ेका जो दूसरा स्वरूप मिट्टी है, वह अविनाशी है; क्योंकि उसका नाश होता ही नहीं ।