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________________ [ ११० ] " इस प्रकार दिगम्बर शास्त्रानुसार भी मुनि के लिये एकान्ततः वस्त्र-त्याग का विधान नहीं पाया जाता, हां कुंदबु.दाचार्य ने ऐसा विधान किया है पर उसका उक्त प्रमाण ग्रन्थों से मेल नहीं बैठता ।" प्रोफेसर साहब ने अपने कथन की सिद्धि में जो प्रमाण दिये थे उनका वे अर्थ नहीं समझे हैं हमने ऊपर यह स्पष्ट बता दिया है। उन्होंने एक भी दिगम्बर प्रन्थका कोई प्रमाण ऐसा नहीं दिया है जिससे सवत्र - संयम और सवत्र मोक्ष की सिद्धि होती हो । फिर एकान्ततः वस्त्र-त्याग का विधान नहीं पाया जाना ऐसा उनका लिखना व्यर्थ और निःसार है | भगवान कुन्दकुन्द स्वामी ने जो वस्त्र-त्याग का अनिवार्य विधान किया है वही विधान समस्त दिगम्बर जैन शास्त्रों का और उनके पहिले तथा पीछे के समस्त आचार्यों का भी वही विधान है । इस लिये "कुन्दकुन्दाचार्य के विधान का अन्य श्राचार्यो के प्रमाण ग्रन्थों से मेल नहीं बैठता " यह प्रो० सा० का कहना भी सर्वथा मिथ्या है, यह बात हमारे ऊपर के प्रमाणों से भली भांति सिद्ध है । पाठक ध्यान से पढ़ लेवें । धवल सिद्धान्त में वस्त्र - त्याग, संयम एवं मोक्ष प्राप्ति के लिये अनिवार्य परमावश्यक कारण है यह बात स्पष्ट की गई है । स्त्री-मुक्ति निराकरण में हम स्पष्ट कर चुके हैं। देखिये - "व्वित्थि वेदा संजमं ण पडिवज्जंति सचेलत्तादो" ( धवल सिद्धान्त सत्प्ररूपणा पृ० ५१३ )
SR No.010088
Book TitleDigambar Jain Siddhant Darpan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMakkhanlal Shastri
PublisherDigambar Jain Samaj
Publication Year
Total Pages167
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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