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बुद्ध
से क्युब्ध हो उठे । जानंद नामक एक शिष्य ने तो शहर छोड़कर जाने की बुद्ध से प्रार्थना की।
६. बुद्ध ने कहा : "आनंद यदि वहाँ भी छोग अपने को गाडियों देंगे तो क्या करेंगें ?"
आनंद बोला : " अन्यत्र कहीं जावेंगे ? "
बुद्ध : " और वहाँ भी ऐसा ही हुआ तो ? " आनंद : " फिर किसी तीसरे स्थान पर ।"
बुद्ध : "आनंद, यदि हम इस तरह भाग-दौड़ करते रहेंगे तो निष्कारण क्लेश के ही पात्र होंगे, उल्टे, यदि हम इन लोगों के अपशब्द सहन कर लेंगे तो उनके भय से अन्यत्र जाने का प्रयोजन नहीं रहेगा । और उनकी चार-आठ दिन उपेक्षा करने से वे स्वयं ही चुप हो जायेंगे।
७. बुद्ध के कहे अनुसार सात-बाठ दिन में ही शिष्यों को इसका अनुभव हो गया ।
८. हत्या का आरोप :
एक समय बुद्ध श्रावस्ती में रहते थे। उनकी छोक-प्रियता के कारण उनके भिक्षुओं का शहर में बच्छा आदर-सम्मान था । इस लिए दूसरे सम्प्रदाय के वैरागियों को ईर्ष्या होने लगी। उन्होंने बुद्ध के संबंध में ऐसी बात उड़ाई कि उनकी चाल-चलन अच्छी नहीं है। थोड़े दिनों के बाद वैरागियों ने एक बैरागी स्त्री का खून करवा उसका शव बुद्ध के विहार के पास एक गढ़े में फिकवा दिया; मोर बाद