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बौद्ध शिक्षापद
११. कुछ प्रमाण
३०. खटियाः खटिया पाये के नीचे की बटनी से आठ सुगत बंगुट ऊँची रखना, अधिक नहीं।
३१. आसन: बासन का आकार अधिक से अधिक लम्बाई दो सुगत विस्त चौड़ाई लगभग डेढ़ सुगत विकस्तर और पुराने आसन से निकालीई चारों तरफ की किनार एक पिलस्त। चारों
१. पायों की बैठक के ऊपर घोड़े के खुर अथवा टाप जैसे भाग।
२ सुगत विस्त को लगभग डेढ़ हाथ के बराबर कहा है; लेकिन इसमें कुछ भूक मालूम होती है। दूसरे स्थान पर सुगत-गुरु, सुगत-चीवर ऐसे शब्द प्रयुक्त हुए हैं । मुझे लगता है कि सुगत यानी बुद्ध और सुगत-अंगुल, सुगत-विळस्त और सुगत-चीवर यानी बुद्ध की अंगुल-विवस्त और चीवर का बाकार। विस्त पानी डेढ़ हाथ। इसके अनुसार भिक्षुओं के दूसरी तरह के जीवन को देखते हुए यह बहुत बड़ा प्रमाण है। उदाहरण स्वरूप लुंगी के समान पहनने का पंचा ६x२९ हाथ लंबा और २१|| हाथ चौदा हो नहीं सकता; लेकिन ६४२॥ वेत बराबर (गमग हे शा से १॥ वा जगभग २४" ) यह पर्याप्त गिना जा सकता है। आसन भी ३०°४२५" पर्याप्त होता है।