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________________ २५. अपने बरतने में लिए हुए परतनों को मूल स्थान पर रख देना अथवा जिन्हें सौपना ही उनके स्वाधीन कर देना। अपने को रहने के लिए मिले हुए स्थान के खिड़की-दरवाजे बंद करके दूसरे मिषुओं को (वे न हों तो चौकीदार को ) सूचना देकर जाना चाहिए । खटिया पत्थर के चार ठीयों पर रख तथा उसपर चौरंग बादि रखकर जाना चाहिए। १०. स्त्रियों के साथ संबंध: २६. एकान्त भिन्तु को आपत्ति काळ अथवा अनिवार्य कारण के बिना किसी स्त्री के साथ एकान्त में नहीं बैठना चाहिए। और er पुरुषों की अनुपस्थिति में उससे पांच-छः वाक्यों के सिवा अधिक संभाषण, चर्चा, अथवा उपदेश नहीं करना चाहिए; उसके साथ एकाकी प्रवास नहीं करना चाहिए। २७. एकान्त भंग : पति-पत्नी अकेले बैठे हों या सोए हों, इस भाग में पहले से सूचना दिए बिना भिक्षु की प्रवेश नहीं करना चाहिए। २८. परिचर्या : भिवपु को अपने निकट-सम्बधी के सिवा दूसरी स्त्री से पात्र धुलाना और सिटाना नहीं चाहिए। २९. भेंट : भिक्षु को किसी कौटुबिक संबंध-रहित बी अथवा भिक्षुणी की वस्त्रादि भेंट नहीं करना चाहिए।
SR No.010086
Book TitleBuddha aur Mahavir
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKishorlal Mashruvala, Jamnalal Jain
PublisherBharat Jain Mahamandal
Publication Year1950
Total Pages165
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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