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________________ 1. सरफ जूने आसन की भिन्न रंग की किनार किए बिना आसन नहीं पनाना चाहिए। ३२. काछी-पंचाः लंबाई चार सुगत विलस्तु और चौड़ाई दो सुगत विकस्त। ३३. धोतीपचा : लंबाई छह सुगत वितरित और चौड़ाई अगभग ढाई सुगत विलस्त । ३४. चीवर : लंबाई ९ Kगत विलम्त और चौड़ाई • सुंगत विस्त। १२. सम्यता: ३५. आसन और गति : शरीर को योग्य रीति से ढंककर चलना और बैठना । नजर नीची रखकर चलना और बैठना । वस्त्र उपादकर नहीं चलना और बैठना । जोर से हंसते-हँसते या जोर से आवाज करते नहीं चलना और बैठना। चलते या बैठते शरीर को नहीं हिलाना, हाथ नहीं हिलाना, सिर नहीं घुमाना, कमर पर हाथ नहीं रखना, माथे पर ओढकर नहीं रखना, एडी को ऊँची नहीं रखना। पलस्थिका (पलाठी मार बाराम कुर्सी या डोलती कुर्सीजैसे शरीर को बना कर नहीं बैठना। ३६. भोजन : भोजन करते समय पात्र की तरफ ध्यान रखना, ररोसने की वस्तुओं की तरफ ध्यान रखना, कोई वस्तु अधिक न परो.. सने के लिए ढकने या छिपनि की कोशिश नहीं करना । बीमारी के बिना खास अपने लिए वस्तुएँ तैयार नहीं करवाना, दूसरे के पात्र
SR No.010086
Book TitleBuddha aur Mahavir
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKishorlal Mashruvala, Jamnalal Jain
PublisherBharat Jain Mahamandal
Publication Year1950
Total Pages165
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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