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________________ उपदेश सुधर जाते थे। अनेक व्यक्तियों को उनके वचनों से वैराग्य के बाण लगते और वे सुख-संपत्ति छोड़ उनके मिनु-संघ में दीक्षित हो जाते। ११. कतिपय शिष्य : उनके उपदेश से कईएक स्त्री-पुरुषों का चारित्र्य कैसे निर्माण हुआ यह एक-दो बातों से ठीक तरह से समझा जा सकता है। १२. पूर्ण नामक एक शिष्य को अपना धर्मोपदेश संक्षेप में समझा बुद्ध ने उससे पूछा:"पूर्ण, अब तुम किस प्रदेश में जागोगे?" पूर्ण : "आपके उपदेश को ग्रहण करके अब मैं सुनापरन्त प्रान्त में जानेवाला हूँ।" घुद्ध : "पूर्ण, सुनापरन्त प्रान्त के लोग बहुत कठोर हैं, बहुत क्रूर हैं। वे जब तुम्हें गाली देंगे, तुम्हारी निन्दा करेंगे, तब तुम्हें कैसा लगेगा ?" पूर्ण : "उस समय हे भगवन् ! में मानूंगा कि ये लोग बहुत अच्छे हैं; क्योंकि उन्होंने मुझ पर हाथों से प्रहार नहीं किया।" बुद्ध : "और यदि उन्होंने तुम पर हाथों से प्रहार किया तो?" पूर्ण : "उन्होंने मुझे पत्थर से नहीं मारा, इससे वे लोग अच्छे हैं; ऐसा मैं समझंगा।' बुद्ध : "और पत्थरों से मारने पर " पूर्ण : "मुझपर उन्होंने दण्ड-प्रहार नहीं किया, इससे के बहुत अच्छे लोग है; ऐसा मैं समझें गा।"
SR No.010086
Book TitleBuddha aur Mahavir
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKishorlal Mashruvala, Jamnalal Jain
PublisherBharat Jain Mahamandal
Publication Year1950
Total Pages165
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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