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________________ - mean १०. उपदेश का प्रभाव : ___ बुद्ध के उपदेश को सुननेवाले पर तत्काल असर होता था। जैसे ढंकी वस्तु को कोई उघाड़ कर बतावे अथवा अंधेरे में दोपक जैसे वस्तुओं को प्रकाशित करता है वैसे ही बुद्ध के उपदेश से श्रोताओं में सत्य का प्रकाश होता था। लुटेरे-जैसे भी उनके उपदेश से . * [१] स्मृति यानी सतत जागृति, सावधानी : क्या करता हूँ, क्या सोचता हूँ, कौनसी भावनाएँ, इच्छाएँ वादि मन में उठती हैं, आसपास क्या हो रहा है, इन सब विषयों में सावधानी। [२] प्रज्ञा अर्थात् मनोवृत्तियों के पृथक्करण को सामर्थ्य : आनंद, शोक, सुख, दुख, जड़ता, उत्साह, धैर्य, भय, क्रोध आदि भावनाओं को उत्पन्न होते समय या उसके बाद पहचान कर उनकी उत्पत्ति कैसे होती है ? उनका शमन कैसे होता है ? उनके पीछे कौनसी वासना रही है ? उनका पृथकरण। इसे धर्म प्रविचय भी कहते हैं। [३] वीर्य अर्थात् सत्कर्म करने का उत्साह । [४] प्रीति अर्थात् सत्कर्म से होनेवाला आनंद । [५] प्रश्नब्धि अर्थात् चिच की शान्तता, प्रसन्नता [६] समाधि अर्थात् चित्त की एकाग्रता [७] उपेक्षा अर्थात् चिश की मध्यावस्था,, विकारोंपर विजय, वेगके झपट्टे में नहीं आना। हर्ष भी रोका नहीं जा सके, शोक, क्रोध भय भी रोका नहीं जा सके, यह मध्यावस्था नहीं है।
SR No.010086
Book TitleBuddha aur Mahavir
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKishorlal Mashruvala, Jamnalal Jain
PublisherBharat Jain Mahamandal
Publication Year1950
Total Pages165
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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