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बुद्ध
[१] ब्रह्मचर्य [२] मध्याह्न के बाद भोजन न करना [३] नृत्य, गीत, पुष्प इत्यादि विलास का त्याग [४] ऊँचे और मोटे बिछौनों का त्याग। इस व्रत को उपोसथ कहते हैं।
१०. भिक्षुके धर्म :
भिक्षु दो प्रकार के हैं : श्रमणेर और भिक्षु । बीस वर्ष के भीतरवाले श्रामणेर कहलाते हैं। ये किसी भिक्षु के हाथ के नीचे ही रहते हैं । भिक्षु में और जिनमें इतना ही अन्तर है ।
भिक्षा पर जीवन निर्वाह की, वृक्षों के नीचे रहने की, फटे कपड़े जमा कर उनसे शरीर ढंकने की और बिना औषधादि के रहने की भिक्षु की तैयारी चाहिए । असे चांदी-सोने का त्याग करना चाहिए और निरंतर चिच के दमन का अभ्यास करना चाहिए ।'
१ भर्तृहरिकृत नीचे के श्लोक में सदाचार के जो नियम हैं वे मानों बौद्ध नियमों का ही संकलित रूप है :प्राणाघातान्निवृत्तिः परधन हरणे संयमः सत्यवाक्यं काले शक्त्या प्रदानं युवतिजनकथामूकभावः परेषाम् " तृष्णा स्रोतो विभंगो' गुरुषुच विनयः सर्वभूतानुकम्पा सामान्यः सर्वं शास्त्र स्वनुपकृतविधिः श्रयसामेषपन्थाः ॥