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________________ सम्प्रदाय १७ ७. बुद्ध धर्मः चार आर्यसत्य में मनुष्य को अपनी न्यूनाधिक शक्ति के अनुसार मन, कर्म. वचन से निष्ठा हो और अष्टांग मार्ग की साधना करते-करते वह बुद्ध-दशा को प्राप्त हो, इस हेतु के अनुकूल पड़नेare if से बुद्ध ने धर्म का उपदेश किया है। उन्होंने शिष्यों के तीन भेद किए हैं : गृहस्थ, उपासक और भिक्षु । ८. गृहस्थ-धर्म : गृहस्थ को नीचे की पांच अशुभ प्रवृत्तियों से दूर रहना चाहिए : [१] प्राणियां की हिसा [२] चोरी [३] व्यभिचार [४] असत्य [५] शराब आदिका व्यसन | उसे नीचे की शुभ प्रवृत्तियों में तत्पर रहना चाहिए : [४] सत्संग [२] गुरु, मान्नापिता और कुटुम्ब की सेवा [३] पण्यमार्ग से द्रव्य संचय [४] मन की सन्मार्ग में हटता [५] विद्या और कला की प्राप्ति [६] समयोचित सत्य, प्रिय और हितकर भाषण [ ७ ] व्यवस्थितता [= दान [६] संबंधियों पर उपकार | 10 ] धर्माचरण [११] नम्रता, संतोष, कृतज्ञता और सहिष्णुता आदि गुणोंकी प्राप्ति और अन्त में [१२] तपश्चयो, aar rte के मार्गपर चल चार आर्यसत्यों का साक्षात्कार कर मोक्ष की प्राप्ति | १० ९. उपासक का धर्म : उपासक को गृहस्थ-धम के उपरान्त महीने में चार दिन निम्नलिखित व्रतों का पालन करना चाहिए :
SR No.010086
Book TitleBuddha aur Mahavir
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKishorlal Mashruvala, Jamnalal Jain
PublisherBharat Jain Mahamandal
Publication Year1950
Total Pages165
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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