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उपदेश यह है कि मर्यादित सिद्धान्त को अमर्यादित समझने की भूजन करना तथा मर्यादा निश्चित करने का प्रयत्ल करना। ११. ग्यारह गौतम __महावीर के उपदेशों का बहुत प्रचार करनेवाले और इनकी अतिशय भक्ति-भाव से सेवा करनेवाले पहले ग्यारह शिष्य थे। वे सभी गौतम गोत्र के माधण थे। म्यारहों जन विद्वान् और बड़ेबड़े कुछों के अधिपति थे। सभी तपस्वी निइंकारी और मुमुचु थे। वदविक्ति कर्मकांड में प्रवीण थे। लेकिन उन्होंने यथार्थ शान से शांति नहीं पाई थी। महावीर ने उनके संशय मिटाकर उन्हें साधु की दीक्षा दी थी।