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कृतज्ञता-प्रकाश
अपने परमोपकारी गुरुदेव जैनाचार्य स्व. श्रीमद् विजयवल्लभ सूरीश्वरजी के देवलोक गमन के उपरान्त श्री आत्मानन्द जैन महासभा पजाब अथवा समस्त पजाब जैन श्री संघ ने एक स्वर से सङ्कल्प किया था कि गुरुदेव के मिशन की पूर्ति के लिए श्रीवल्लभ स्मारक की स्थापना की जाए। स्मारक मे अनेक प्रवृत्तियो का आयोजन है-गुरुवर श्रीमद् विजयानन्द सूरीश्वर व श्रीमद् विजयवल्लभ सूरीश्वर की कलात्मक प्रतिमाएँ, हस्तलिखित शास्त्रों का संग्रह व रक्षण, पुस्तकालय, ग्रन्थ प्रकाशन, शोध कार्य, कलाकक्ष, अतिथिगृह आदि।।
स्मारक की स्थापना देहली में होगी। इस समय भण्डारों के ग्रंथों का सूत्रीकरण हो रहा है। प० हीरालालजी दूगड़ यह उपयोगी काम कर रहे है । साहित्य प्रकाशन की ओर भी पग उठाया गया है। 'आदर्श जीवन' का प्रकाशन हो चुका है। सस्ता साहित्य मंडल के सहयोग से 'मानव और धर्म' (लेखक डा० इन्द्रचन्द्र शास्त्री एम.ए., पी एच. डी.) भी प्रकाशित हो चुका है।
प्रस्तुत पुस्तक एक महत्त्वपूर्ण विवादास्पद विषय पर लिखी गई है। विद्वान् लेखक व्याख्यान दिवाकर, विद्याभूषण प० हीरालाल दूगड न्यायतीर्थ न्यायमनीषी, स्नातक ने कठोर परिश्रम से इसे तय्यार किया है। हमे आशा है कि विद्वान् इसका समुचित अध्ययन कर प्रचलित भ्रान्ति दूर कर हमे अपनी सम्मति भेजेगे। हम लेखक महोदय, आमुख लेखक मुनिराज श्री पुण्यविजयजी तथा श्री ज्ञानदासजी एडवोकेट का हार्दिक आभार मानते है, जिनके प्रयत्नों व प्रेरणाओं से यह पुस्तक साहित्य-जगत् के समक्ष उपस्थित हो रही है । आर्थिक सहायकों के भी हम कृतज्ञ है। जेठ शुदि अष्टमी
श्री आत्मानन्द जैन वि० २०२१
महासभा, पंजाब