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समाज में संतोष नहीं हो सकता । तथा भाई गोपालदास जावाभाई अथवा जो कोई अन्य महानुभाव भी इसका अनुकरण कर रहे हों उनको भी वास्तविक अर्थ समझकर अपनी भूल को स्वीकार कर अपनी सरलता और सत्यप्रियता का परिचय देते हुए वास्तविक विद्वत्ता का परिचय देना चाहिये।
भारत सरकार से भी हमारी प्रार्थना है कि जिस प्रकार Religious Leaders (धार्मिक नेता) नामक पुस्तक प्रकाशित होने पर अल्पसंख्यको की भावनाओ का आदर करते हुए उसे जब्त कर तथा “सरिता" मासिक पत्रिका के जुलाई के अक को जब्त करके सत्य परायणता का परिचय दिया है वैसे ही अध्यापक धर्मानन्द कोशाम्बी कृत "भगवान् बुद्ध" नामक पुस्तक के लिये भी कदम उठाये जिससे अहिसा-प्रेमी जगत के सामने शुद्ध न्याय का परिचय मिले।
इस निबन्ध को लिखने में जिन ग्रथो की सहायता ली गयी है उनकी सूची आगे दी है। उन सब ग्रथकर्ताओ का साभार धन्यवाद । ___ इस निबन्ध सम्बन्धी सब प्रकार की मम्मतियां एव सूचनाये नीचे लिखे पते से भेजकर अनुग्रहीत करे।
२/८२ रूपनगर,
दिल्ली-६
हीरालाल दूगड़ व्यवस्थापक, जैन प्राच्यग्रथ भडार