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मीठा फल ही अत्यन्त लाभदायक है । तथा कुक्कुट (मधुकुक्कुटी) शब्द का अर्थ जम्बीर नामक फल ही होता है। इसके फल में गदा भी होता है। यह गदा इन सब रोगों पर अत्यन्त लाभदायक है। अर्थात "कुक्कुड मंसर" का अर्थ "बोगोरे (जम्बीर) फल के गूदे से तयार किया गया पाक-मुरब्बा" होता है । तथा प्राचीन टीकाकारों ने एक चूर्णिकारों ने और कलिकालसर्वज्ञ श्री हेमचन्द्राचार्य आदि गीतार्थ आचार्यों ने भी इसका यहो अर्थ स्वीकार किया है। यह मुरब्बा कई दिनों तक सुरक्षित रहता है, बिगड़ता नहीं।
(४) चौथा अर्थ यदि मुर्गे का मांस किया जावे तो यह मास इस रोग में बहुत हानिकारक होने से इस रोग में कदापि लाभकारी नहीं हो सकता था । देखिये :
मुर्गे के मांस के गुण-दोष--
(क) मुर्गे का मांस स्निग्ध, गुरु, उष्ण, वृष्य, कफात, शक्तिप्रद, मालों के लिये लाभकारी तथा वायु को नष्ट करता है।
(वैद्यक निघण्टु उर्दू वैद्य कृष्णदयालकृत) (ख) "स्निग्धं उज्णं गुरु रक्तपित्तजनकं वातहरं च मांसं ।
सर्वांसं वातविध्वंसि वृष्यं ॥" अर्थात् -मुर्गे का मास चिकना, भारी, गरम, कफ को बढ़ाने वाला, ताकत बढ़ाने वाला, रक्तपित्त को पैदा करने वाला और वायु को दूर करता है। सब मांस भारी और वात को नाश करते है।
मतलब यह है कि गर्म, भारी, चिकने पदार्थ भक्षण करने से रक्तपित्त विकार पैदा होता है, इस रोग में वृद्धि होती है और रोगी को बहुत
१-"मांस" शब्द नपुंसक लिंग है। परन्तु 'मांसक' शब्द पुल्लिग है और 'बीजोरा' शब्द भी पुल्लिग है। एवं 'मांसक' शब्द का अर्थ फल का गदा अथवा पाक-मुरब्बा ही है । ऐसा हम ऊपर लिख भी आये हैं । इसलिये यहाँ पर "कुक्कुड मंसए" का अर्थ बोजोरा पाक ही होता है। इसमें सन्देह की कोई गुजाइश नहीं है ।