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(२) तथा प्राणिवाचक पर्यायशब्द जब वनस्पति के लिये प्रयुक्त होते हैं तब प्रत्येक पर्यायवाची शब्द का वनस्पति में समानार्थ हो किया जाता है । जैसे कि ( क ) 'वानरी' का अर्थ बन्दरी है और 'कपि का अर्थ बन्दर है । पहला शब्द स्त्रीलिंग है, दूसरा पुल्लिंग है । परन्तु दोनों का अर्थ वनस्पतिपरक "कौंच के बीज" होता है । (ख) 'कोकिलाक्ष' का अर्थ- 'कोयल पक्षी की आंख' होता है तथा 'कोकिला' का अर्थ 'कोयल पक्षी' होता है । परन्तु ये दोनों पर्यायवाची शब्द वनस्पतिपरक अर्थ में बनकर एक अर्थ के सूचक हो गये हैं। इनका एक ही अर्थ 'तालमखाने' होता है |
अब हम यहां पर कुछ और भी उद्धरण दे कर स्पष्ट कर देना चाहते हैं :
(१ - कुक्कुट) (पुल्लिंग) - कुक्कुट शाल्मली वृक्षे ( सेमल का वृक्ष ) (वैद्यक शब्द सिन्धु)
( २ - कुक्कुटी) स्त्रीलिंग -
शाल्मली तूलिनी मोचा पिच्छिला विरजा विता । कुक्कुटी पूरणी रक्त कुसुमा
घुणबल्लभा ॥ ६७ ॥
(निघण्टुशेष)
उपर्युक्त उद्धरणों से हम देखते हैं कि कुक्कुट तथा कुक्कुटी दोनों का लिंगभेद होते हुए भी वे वनस्पतिपरक अर्थ मे पर्यायवाची है । दोनों का अर्थ शाल्मली वृक्ष (सेमल का वृक्ष ) स्वीकार किया गया है । ( ३ - करौंदा ) करमव वने क्षुद्रा कराम्लः करमर्द्दकः । तस्माल्लघुफला या तु सा ज्ञया करमदिका ॥ ( शालिग्राम निघण्टु फलवर्ग ) (४ - झिंगी ) जिङ्गिनी शिगिनी झिंगी सुनिर्यासा प्रमोदिनी । ( शालिग्राम निघण्ट वटादिवर्ग )
नं० ३-४ उद्धरणों में भी 'करमर्द' पुल्लिङ्ग है तथा 'करमदिका' स्त्रीलिंग है । एवं "झिगिनी" स्त्रीलिंग है और 'झिंगी' पुल्लिंग है; दोनों पर्यायवाची बनकर समानार्थक है ।
अतः कुक्कुटी, मधुकुक्कुटी, मधुकुक्कुटिका और कुक्कुट ये सब शब्द पर्यायवाची होने से समानार्थक हैं । इस लिये यहाँ पर कुक्कुट शब्द का अर्थ बिजौरा है । यह दलील निःसन्देह युक्तिपूर्ण है ।