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________________ ( १२५ ) (क) पितेषु कुष्मांs are not wor शुक्लं लघूषणं क्षारं दीपनं सर्वधेषहरं यं यं चेतो वस्तिशोधनम् ॥ २१३॥ विकारिणाम् ॥ २१४॥ (सुश्रुतसंहिता ५६ फलवर्ग ) अर्थ - पेठा कम उष्ण, दीपनकर्त्ता, वस्तिशोधक, सर्व दोषहर है । (ख) "लघु कुष्माण्डकं रूक्षं मधुरं प्राहि शीतलम् । बोबलं रक्त-पिशघ्नं मलस्तम्भकरं परम् ॥ ॥ " अर्थ - छोटा पेठा ग्राही, शीतल, रक्त-पित्तनाशक तथा मलरोधक है । (ग) “कुष्माण्डं शीतलं वृष्यं स्वावु पाकरसं गुरु । हृद्यं रूक्षं रसस्वन्दि श्लेष्मलं वातपित्तजित् ॥ कुष्माण्डशाकं गुरुसन्निपातज्वरामशोकानि दाहहारि ॥" ( कयदेव निघण्टु) अर्थ - पेठा शीतल, पित्त नाशक, ज्वर, आम, दाह आदि को शांत करने वाला है । (घ) कुष्माण्डं स्यात् पुष्पफलं पीतं पुष्वं बृहत्फलम् ॥५३॥ कुष्माण्डं वृहणं वृष्यं गुरु पित्तास्त्रवातनुत् । बालं पित्तापहं शीतं मध्यमं कफकारकम् ॥५४॥ वृद्धं नातिहिमं स्वादु सक्षारं दीपनं लघु । वस्तिशुद्धिकरं तोरोगहृत्सर्वदोषजित् ॥५५॥ कुष्माण्डी तु भृशं लध्वी कर्कारुरपि कीर्तिता । कर्का ग्राहिणी शीता रक्तपित्तहरी गुरु ॥५६॥ पक्वा तिक्ताऽग्निजननी सक्षारा कफवातनुत् ॥५७॥ ( भावप्रकाश निघण्टु शाकवर्ग ) अर्थ - पेठा रक्त, पित्त और वायु दोषनाशक है। छोटा पेठा पित नाशक, शीतल और कफजनक है । बड़ा कोलाउष्ण, मीठा, दीपक बस्तिशुद्धि कारक, हृदयरोग नाशक, तथा सर्वदोषहारी है। छोटा पेठा
SR No.010084
Book TitleBhagwan Mahavir tatha Mansahar Parihar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiralal Duggad
PublisherAtmanand Jain Sabha
Publication Year1964
Total Pages200
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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