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अन्ने
इस सूत्रपाठ में निम्नलिखित शब्द विचारणीय है :मर्षमागषी शा
संस्कृत पर्याय दुवे कवोयसरीरा ।
द्वे कपोत-शरीरे उवक्खडिया
उपस्कृते नो अठो
नेवार्थोऽस्ति
अन्यत पारियासिए
पयें षितं मज्जारकडए
मार्जार-कृतं कुक्कुड़
कुक्कुट मंसए
मॉसकं १०-कबोय-कपोत क्या था ?
"कबोय" शब्द का अर्थ आज कल 'कबूतर पक्षी' समझा जाता है, परन्तु कपोत एक प्रकार की खाद्य वनस्पति है । वह पूरी की पूरी उपस्कृत हो सकती है और बहुत समय तक टिक सकती है । इसके सेवन से उष्णता, पित्तज्वर, रक्तविकार, रक्त-पित्त और अतिसार रोग शांत होते हैं । कपोत और कपोत से बने हुए शब्दों के अर्थों में भिन्नता होती है। उसका ब्योरा इस प्रकार है :१-कपोत-पारापत एक प्रकार की वनस्पति (सश्रत संहिता
फलवर्ग) २--कपोत--पारीस पोपर (वैद्यक शब्दसिन्धु) ३--कपोत-कपोतिका--सफेद कोला, पेठा, कुष्माण्ड (निघन्टु
रत्नाकर) ४--कपोत-कबूतर पक्षी ५-कपोतक-सज्जी खार ६-कपोतांजन-हरा सुरमा (निघण्ट्ररत्नाकर) ७-यासपतपदी-मालकांगनी (भावप्रकाश) ८-कपीतवर्णा-इलायची