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________________ ( १२३ ) अन्ने इस सूत्रपाठ में निम्नलिखित शब्द विचारणीय है :मर्षमागषी शा संस्कृत पर्याय दुवे कवोयसरीरा । द्वे कपोत-शरीरे उवक्खडिया उपस्कृते नो अठो नेवार्थोऽस्ति अन्यत पारियासिए पयें षितं मज्जारकडए मार्जार-कृतं कुक्कुड़ कुक्कुट मंसए मॉसकं १०-कबोय-कपोत क्या था ? "कबोय" शब्द का अर्थ आज कल 'कबूतर पक्षी' समझा जाता है, परन्तु कपोत एक प्रकार की खाद्य वनस्पति है । वह पूरी की पूरी उपस्कृत हो सकती है और बहुत समय तक टिक सकती है । इसके सेवन से उष्णता, पित्तज्वर, रक्तविकार, रक्त-पित्त और अतिसार रोग शांत होते हैं । कपोत और कपोत से बने हुए शब्दों के अर्थों में भिन्नता होती है। उसका ब्योरा इस प्रकार है :१-कपोत-पारापत एक प्रकार की वनस्पति (सश्रत संहिता फलवर्ग) २--कपोत--पारीस पोपर (वैद्यक शब्दसिन्धु) ३--कपोत-कपोतिका--सफेद कोला, पेठा, कुष्माण्ड (निघन्टु रत्नाकर) ४--कपोत-कबूतर पक्षी ५-कपोतक-सज्जी खार ६-कपोतांजन-हरा सुरमा (निघण्ट्ररत्नाकर) ७-यासपतपदी-मालकांगनी (भावप्रकाश) ८-कपीतवर्णा-इलायची
SR No.010084
Book TitleBhagwan Mahavir tatha Mansahar Parihar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiralal Duggad
PublisherAtmanand Jain Sabha
Publication Year1964
Total Pages200
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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