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त्रियकड
राजधानी कुंडपुर आचागंग. भगवती, कल्पमत्र, आवश्यक निर्याक्न में क्षत्रियकंड केलिये कंडपग्नगर. माहणकंडग्रामनगर, त्रियकंडग्राम नगर. दक्षिण ब्राह्मणकंड. मन्निवेश, उत्तरक्षत्रियकंडपर मन्निवेश ब्राहमकुंडग्राम आदि शब्दों का प्रयोग है। हमने यहां फुटनोट में आचारांग, कल्पसूत्र, भगवती, आवश्यक नियुक्ति आदि के पाठों में आए कुंडपुर आदि शब्दों के प्रमाण दिये हैं।
इससे ज्ञात होता है कि कुंडपुर बड़ा नगर था। उस के दो भाग थे। पूर्व में ब्राह्मणकुंडनगर और पश्चिम में क्षत्रियकुंडनगर था। इन दोनों के भी दो-दो विभाग थे। १. उत्तर ब्राह्मणकंडनगर और २. दक्षिण ब्राह्मणकंडनगर। इन विभागों में ब्राह्मणों के घर विशेष थे। ३. उत्तर क्षत्रियकंडनगर ४. दक्षिण क्षत्रियकंडनगर इन दो विभागों में क्षत्रिय अधिक रहते थे। ब्राह्मणकंड के पास बहशालचैत्य उद्यान था। इस उद्यान के बीच में चैत्य था। क्षत्रियकंड के पास ज्ञातखंडवनउद्यान था। इस उद्यान में चैत्य (मंदिर) नहीं था। इसी उद्यान में भगवान महावीर ने दीक्षा ग्रहण की थी।
हम लिख आये है कि सन्निवेश के अनेक अर्थ है। सार्थवाह और मुसाफ़िर निवाम जहां एक अर्थ यह भी होता है। जैसे वर्तमानकाल में अमक-अमक कोम के फासले पर मसाफिरों की विधा केलिये डाकबंगले होते हैं। औरों के लिए पड़ाव स्थान होते हैं। मिनार होते हैं, सराय होती है. वैसे प्राचीन काल में ममाफिरों
लये बड़े-बड़े नगरों-गांवों में वैरांन जंगलों में अमक कोस के फामले पर बावडी, जलाशय. पुष्करणी के निकट सन्निवेश होते थे। क्षत्रियकंड भी एक बड़ा नगर था. गजधानी भी थी। उसके बाहर मार्थवाहों. ममाफिगे केलिये राज्य की तरफ से विश्रामस्थल बनाये जाते थे। इलिए वे नगर-ग्राम मन्निवेश के नाम से भी प्रसिद्ध थे। कडपुर के राज्यपुत्र जमाली ने ५०० क्षत्रियो केमाथ और उसकी भायां प्रियदर्शना ने १००० क्षत्रियाणियों के माथ भगवान महावीर के पास दीक्षाए ग्रहण की थीं। इन आंकड़ों से ज्ञात होता है कि यंहा वहत बड़ी सख्या में क्षत्रिय परिवार आबाद थे। इनकी ज्ञातृ प्रमुख अनेक जातियां थीं। इमी प्रकार ब्राह्मणकंड में ब्राह्मणो के घर बड़ी संख्या में थे। इस प्रकार इस समुचय कंडपरनगर में मुख्य रूप से क्षत्रिय एवं ब्राह्मण और गौण रूप में वैश्य, शिल्पकार और अन्त्यज (चागें वर्गों के लोग रहते थे। इसलिए यह महानगर था। तथा ज्ञातवंशीय सिद्धार्थ के पश्चात् उसके पत्र नन्दीर बन की राजधानी था। इलिये यह महानगर था)। केंडपुर के नगर विभाग, घरों. उद्यानों, दुकानों. सन्निवेश के आंकड़ों में निःसंकोच कह सकते हैं कि भगवान महावीर के समय