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गजधानी वैशाली-बमान विदेह की राजधानी वैशाली भगवान महावीर के समय में वैशाली वज्जि गणतंत्र राज्य का केंद्र नगर एवं गजधानी थी। लिच्छिवी क्षत्रिय जाति के चेटक यहां के महागजा थे। उम ममय लिच्छिवियों का प्रभाव और प्रसिद्ध खब थी। विदेह जनपद सभ्यता और संस्कृति की चरमसीमा पर थे। इतिहास में विदेह. वैदेही. विदेहदना. लिच्छिवी दोहित्र, वैशालिक आदि विशेषण अथवा नाम विशेष आदरणीय एवं प्रशंसनीय थे। महागजा चेटक के शासनकाल में वैशाली महावैभवशाली और उन्नत नगर था। यह भगवान महावीर की ननिहाल थी। महागजा चेटक भगवान महावीर के मामा और नन्दीवर्धन के ममर थे एवं दढ जैनधमीं थे।
वैशाली और वसाढ़ वैशाली ध्वंम हो जाने पर आज उसके स्थान पर वसाड़गढ़ है। जो पटना मे २७ मील उत्तर की तरफ है। इसके वायव्यकोण में वनियांगांव है। वायव्योत्तर में कोलुअगांव है। ईशान में वसुकंडग्राम है और पर्व में कामनगाच्छी है। नैऋत्य कोण में स्तप, बनिया और कोलआ के पश्चिम में न्योरी नाला है। इसे नेवला नाम की नदी भी कहा जाता है। प्राचीनकाल की वैशाली, वाणिज्यग्राम और कोल्लाग के साथ अर्वाचीन वसाढ़, बनियां और कोलआ की मात्र नामसम्याता है। जबकि बनिया और वसाड़ के बीच गंडकी नदी है। यह भन्नता है। नदी का बहाव बदल गया हो अथवा गांवों का स्थान बदल गया हो परन्त यह बात चौकम है कि इम वमाढ़ और बनिया के बीच नदी नहीं है। जातिका अथवा नादिका गांव वैशाली के दक्षिण में था, यह वमाढ के दक्षिण में नहीं है। वसकंडग्राम वैशाली के ईशान में नहीं था। यह आज वमाढ़ के ईशान में है। क्षत्रियकंड और ये दोनों एक कैसे बन मकते हैं? कंडपर के बदले वमकंड शब्द बने इसका आधार पाट भी नहीं मिलता। कदाचित कल्पना करें तो भी कुडग्राम के स्थान पर वस्कंड बना हो ऐमा मानने के बदले वैश्यग्राम के स्थान पर वासकंड बना हो ऐमा मानना अधिक तर्कसंगत है। अलग प्रमाणों से यहां तो इतना ही कहा जा मकता है कि वैशाली के स्थान पर आज वसाढ़ गांव बमा हुआ है।