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________________ पं. कल्याण विजय कामत २. पन्यास कल्याणविजय (बत सिडिसूरि के शिष्य) का मत वैशाली के एक मोहल्ले में भगवान महावीर का जन्मस्थान क्षत्रियकंड था। (क) इन्होंने जन्मस्थान वैशाली-विदेह के समर्थन जो दिगंबर साहित्य के प्रमाण दिये हैं इनकी निःसारता दिगंबरों के प्रकरण में कर दी है। इनके जो जन्मस्थान के विषय में अन्य मत हैं अब उन पर विचार करें। (क) इनका मत है कि भारतवर्ष के विदेह में कुंडग्राम में भगवान महावीर का जन्मस्थान है। क्योंकि कल्पसूत्र सूत्र ४०२ में लिखा है कि (ख) पाए पाएपुते पायकलचंदे विदेह विदेहदिन्ने विवेहबच्चे विदेहसुमाले तीसंपालाई विदेहसि तिकहा यही पाठ आचारांगसूत्र द्वितीय श्रुतस्कन्द भावना अध्ययन सूत्र ४० में भी है। कल्पमत्र की सुबोधिका टीका में उपाध्याय विनयविजय जी ने विदेह शब्द का अर्थ इस प्रकार किया है। (विदेहे) वजषमनारायसहनन समचतुन संस्थान मनोहरत्वाद् विशिष्टो देहा (विदेहा - वि-विशिष्ट+देहा-शरीर) यस्य सः विदेहा। अर्थात् ज्ञात, २. ज्ञातपुत्र, ३. ज्ञात-कुल-चन्द्र, ४.विदेह, ५.विदेहदत ६. विदेहजात और ७. विदेह-सुकमाल आदि विशेषण दिये हैं। पहले तीन विशेषण पिता के पक्ष के हैं, और बाद के तीन विशेषण माता के पक्ष के हैं। एवं अंतिम दो विशेषण भगवान महावीर के पक्ष के हैं। मध्य के चार विशेषणों का अर्थ टीकाकार के आधार से ४.(विदेहे) वजऋषभ-नाराच-सहनन समचतमसंस्थान शरीरवाला ५. (वैदेहीदत्त) महावीर ६.(वैदेहीजात) त्रिशला का पत्र ७. (विदेहेसमाले) कामदेव के समान सकमाल (अंतिम)८.(तीसं) तीस ९. (वासाइ) वर्षों तक, १०. (विदेहसि) शरीर का ममत्व त्याग ११.(कटट) करके। ___ भावार्थ- ज्ञातृवंशी, ज्ञातपत्र (राजा सिद्धार्थ का पत्र) ज्ञातकल में चन्द्र के समान (शीतल स्वभाव तथा नयनाभिराम स्वभाव वाला) और सुडौल शरीर वाला) माता त्रिशला देवी का पुत्र, कामदेव के समान सकोमल शरीर वाला, अपने शरीर के ममत्व को छोड़ कर भगवान महावीर तीस वर्षों तक घर में रहे। ___ आचार्य विजयेन्द्र सूरि जी का कहना है कि उपाध्याय विनयविजय जी का विदेह शब्द का अर्थ संगत नहीं बैठता। मालूम पड़ता है कि आवश्यक चूर्णि के पाठ की तरफ उनका ध्यान नहीं गया। आवश्यक चर्णि का पाठ यह है।
SR No.010082
Book TitleBhagwan Mahavir ka Janmasthal Kshatriyakunda
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiralal Duggad
PublisherJain Prachin Sahitya Prakashan Mandir Delhi
Publication Year1989
Total Pages196
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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