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महत्वपण बिन्दुओं पर सुझाव एव दिशा निर्देशन देनेवाले प्रो डॉ कमलचन्द सोगानी विभागाध्यक्ष दशन सुखाडिया विश्वविद्यालय उदयपुर ( राजस्थान) प्रोफेसर डॉ टी जी कलपटगी विभागाध्यक्ष जन-दशन मद्रास विश्वविद्यालय प्रो डॉ जयप्रकाश सिंह विभागाध्यक्ष इतिहास विभाग नाथ ईस्टन हिल युनिवर्सिटी शिलांग प्रो में लल्लनजी गोपाल डॉ पी सी पन्त प्रा भा इति स एव पुरातत्व विभाग का हि वि वि वाराणसी डॉ महेद्रप्रताप सिंह विभागा ध्यक्ष इतिहास काशी विद्यापीठ वाराणसी का म विशेष आभारी हूँ।
इसी सन्दर्भ में उत्साहवधन करनवाले प्रेरणा के स्रोत डॉ जयराम सिंह इतिहास विभाग राजकीय महाविद्यालय चन्दौली वाराणसी डॉ डी एस रावत भगोल विभाग उदयप्रताप कॉलेज वाराणसी डा झिनक यादव एव श्री बच्चन सिंह के प्रति आभार निवेदन करता हूँ।
म उन सभी विद्वानो के प्रति हार्दिक आभार व्यक्त करता हूँ जिनकी कृतियाँ अथ के प्रणयन में सहायक रही है। प्रथ के मूल भाग या पाद टिप्पणियो म इनके यथास्थान ससम्मान उ लेख हैं तथा सहायक ग्रन्थ सूची में तत्सम्बन्धी पर्ण प्रविष्टियां हैं। परन्तु प्राक्कथन के इस पयवाद ज्ञापन के प्रसग म भी मैं कुछ विद्वानो का विशेष उलेख करना चाहता हूँ जिनकी कृतियो से मुझ प्रथ की रचना में स्थान-स्थान पर सहायता मिली है यथा-डा सागरमल जैन जैन बौद्ध और गीता के आचार दशनो का तुलनात्मक अध्ययन भाग १ एव २ डा सुदशनलाल जैन उत्तराध्ययनसूत्र एक परिशीलन डॉ गोविन्दचन्द्र पाडय बौद्धधम के विकास का इतिहास डॉ भरतसिंह उपाध्याय बौद्ध-दर्शन और अन्य भारतीय दशन भाग १ एव भाग २ प बलदेव उपाध्याय बौद्ध दशन मीमासा और भारतीय दशन ।
पुस्तकीय सहायता के लिए के द्रीय ग्रन्थालय काशी हिन्दू विश्वविद्यालय वाराणसी विश्वनाथ पुस्तकालय गोयनका महाविद्यालय वाराणसी पाश्वनाथ शोष सस्थान ग्रन्थालय वाराणसी महाबोषि ग्रन्थालय सारनाथ वाराणसी तथा प्राचीन भारतीय इतिहास संस्कृति एव पुरातत्व विभाग के विभागीय प्रन्थालय से प्राप्त सहयोग के लिए मैं इन सस्थायो का आभारी हूँ।
अन्य के प्रकाशन के निमित्त भारतीय इतिहास अनुसधान परिषद् नई दिली ने अनुदान हेतु स्वीकृति प्रदान की इसके लिए मैं सस्था के प्रति विशेष आभारी हूँ।
अपने मित्र श्री पनजय सिह शोष-छात्र भूगोल-विभाग का हि वि वि वाराणसी से प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष रूप म जो सहयोग प्राप्त हुआ है उसके लिए आभार प्रदथित करना मैं अपना कतन्य समझता हूँ।