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पूजनीय माता पिता तथा सभी अग्रजों के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करना आवश्यक कर्तव्य समझता हूँ जिनके आशीर्वाद और कृपा के कारण ही यह ग्रन्थ पूर्ण हो सका ।
अन्त में विश्वविद्यालय प्रकाशन के प्रकाशक श्री पुरुषोत्तमदास मोदी के प्रति आभार प्रदर्शित करता है क्योंकि इनकी तत्परता तथा लगन के कारण ही यह काय समय से पूर्ण हो सका है इसी सन्दम में मैं शीला प्रिण्टस के प्रबन्धक के प्रति भी आभार निवेदन करता हूँ ।
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१९८९
- महे व्रनाथ सिंह