________________
आमार
प्रस्तुत ग्रन्थ की रचना म अनेक गुरुजनो मित्रो तथा सस्थाओ से मझे बहविष महायता मिली ह जिनके प्रति आभार निवेदन करना मेरा प्रथम कत्तव्य है।
प्रन्थ-लेखन से प्रकाशन तक म परमपूज्य गुरुवर प्रो डॉ जगदीशनारायण तिवारी विभागाध्यक्ष प्राचीन भारतीय इतिहास सस्कृति एव पुरातत्त्व विभाग ( काशी हिन्दू विश्वविद्यालय ) तथा प्रो डा सागरमल जन निदेशक पाश्वनाथ विद्याश्रम शोष-सस्थान वाराणसी से प्ररणा सुझाव तथा प्रोत्साहन मिलता रहा है। इसके लिए में इन गवेषी मनीषी तथा प्रज्ञायुक्त यक्तित्वो का चिरऋणी रहूँगा ।
मादरणीय डॉ ओमप्रताप सिंह सगर प्रधानाचाय डा बशबहादुर सिंह उपप्रधानाचार्य तथा डॉ हरिबश सिंह विभागाध्यक्ष प्राचीन भारतीय इतिहास उदयप्रताप स्नातकोत्तर महाविद्यालय वाराणसी का मुझ पर सदैव स्नेह रहा है जिसके लिए मैं अपने को भाग्यशाली मानता हूँ। उन लोगो के प्रति आभार प्रकट करना मरा कर्तव्य है।
____ आदरणीय प्रो डा होरालाल सिंह भू पू विभागाध्यक्ष इतिहास विभाग काशी हिन्दू विश्वविद्यालय वाराणसी डॉ शुकदेव सिंह रीडर हिन्दी विभाग काशी हिन्दू विश्वविद्यालय प्रो डॉ कृष्णकुमार सिनहा भ पू सकाय प्रमुख कला संकाय काशी हिन्दू विश्वविद्यालय डा सुदशनलाल जन रीडर सस्कृत विभाग काशी हिन्दू विश्वविद्यालय तथा भिक्ष डी रेवत सयुक्त मन्त्री महाबोधि सोसाइटी
ऑफ इण्डिया घमपाल रोड सारनाथ वाराणसी ने समय-समय पर अनेक समस्याओ के निदान तथा काय म गति बनाय रखने की प्ररणा दी है। पुस्तक के लिए शुभाशसा प्रदान कर उन लोगो ने मुश अनुगृहीत किया है । म उन लोगो के प्रति भी कतज्ञ हूँ।
प्रस्तुत प्रथ के प्रकाशन में प्रोत्साहन एव परामश देनेवाले प्रो डॉ गोविद चद्र पाण्डय डॉ घमचद्र जन प्रो में कृष्णदत्त वाजपेयी टैगोर प्रोफेसर एव भू प विभागाध्यक्ष हरिसिंह गौड विश्वविद्यालय सागर (म प्र ) प्रो डा लक्ष्मी कान्त त्रिपाठी प्रो डॉ माहश्वरीप्रसाद तथा प्रो डा पुरुषोसम सिंह प्रा भा इति स एव पुरातत्त्व विभाग का हि वि वि वाराणसी का नामो लेख करना बावश्यक है । लेखक इन विद्वज्जनों का सदैव आभारी रहेगा।