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________________ बाबू जी की अमर सेवायें सत्यधर कुमार सेठी, उज्जैन दरणीय बाबू छोटेलालजी जैन जैसे तपः पूत सेवक का स्मृति ग्रंथ प्रकाशित करना जैन समाज के लिए गौरव की बात है । वास्तव में बाबू छोटेलालजी इसके योग्य थे । धनिक परिवार में जन्म लेने पर भी उनकी सेवायें विविध क्षेत्रों में रहीं। इसी लिए इस महान् सेवक की गणना देश के प्रमुख समाज, साहित्य और इतिहास सेवियों में की जाती है। जगत में कई मानव जन्म लेते हैं और यों ही चले जाते हैं लेकिन कई ऐसे भी इस वसुंधरा पर अवतरित होते हैं, जो सेवा त्याग और सदाचार के बल पर इस वसुंधरा को पवित्र कर भ्रमर बन जाते हैं। बाबू छोटेलालजी जैन की गणना भी यदि ऐसे व्यक्तियों में की जाय तो कोई अत्युक्ति न होगी । बाबूजी का जन्म एक धनिक परिवार में हुआ । कलकत जैसे महानगर में उन्होंने अपने जीवन का बहु भाग व्यतीत किया । बाबूजी ने अपने जीवन का निर्माण इतना सुन्दर ढंग से किया था कि देखकर प्राश्चर्य होता था । मुझे उनके संसर्ग में पाने का कई बार सौभाग्य प्राप्त हुआ था। उनका व्यवहार और उनके कार्य हमेशा मार्ग दर्शक के रूप में रहेंगे। उन्होंने वैभव का कभी गर्व नहीं किया श्रौर अपने आपको एक सेवक के रूप में देखा । आपके जीवन की कई घटनायें ऐसी हैं जो भाज भी हम सबको प्रेरणा देती हैं । जैसे सन् १९१७ में कलकता में इन्फ्लुएंजा के प्रकोप के समय को गई उनकी सेवाएं | यह प्रकोप बड़ा भीषण था । इससे पीड़ित व्यक्तियों का कष्ट भाप देख नहीं सके। आपकी कररणा उमड़ पड़ी और वे संतप्त प्राणियों की सेवा के लिए आगे बढ़े। इसी तरह कलकत्ता में जब सन् १९४३ में भीषण अकाल पड़ा, जिसकी कहानी बड़ी लोमहर्षक रही है तो उसमें भी बाबूजी ने सेवा कार्य में बड़ी तत्परता दिखलाई और उन्होंने घर घर में घूम कर अकाल पीड़ितों की खोज की । और उनकी तन मन धन से सेवा करके ऐसा प्रादर्श उपस्थित किया जो कलकत्ते के इतिहास में चिरस्मरणीय रहेगा। बंगाल में नोप्राखाली का ऐतिहासिक दंगा हुआ और महात्मा गांधी को भी वहां तत्काल जाना पड़ा। उस समय हमारे माननीय बाबू छोटेलालजी भी पीछे नहीं रहे । ग्राप भीषरण दंगे में वहाँ गये और बड़े साहस के साथ श्रापने वहाँ पर भ्रातृ भाव का प्रचार किया । इसी तरह कलकत के हिन्दू-मुस्लिम दंगे में भी आपने शेर की तरह निडर रह कर पीड़ितों की सेवायें की । बाबूजी के सार्वजनिक जीवन के ऐसे कई उदाहरण है । सार्वजनिक क्षेत्र की तरह आपका सामाजिक और धार्मिक जीवन भी चमत्कृत रहा। प्रारंभ से ही आपके विचार रूढिवाद भौर संकीर्णता से दूर रहे। श्रापने सामाजिक क्रांतियों में साहस के साथ कदम बढ़ाया -- विजातीय विवाह और विलायत यात्रा के प्राप प्रारंभ से ही समर्थक रहे । श्री धर्म चन्दजी सरावगी की विलायत यात्रा के विरोध के प्रसंग में आपने जो साहस दिखाया वह चिर स्मरणीय रहेगा। सच कहा जाय तो बाबूजी सेवा के प्रतिबिंब मौर सादगी के प्रतीक थे । भापकी सेवाएं श्रमर रहेंगी और हमें सदा प्रेरणा देती रहेंगी ।
SR No.010079
Book TitleBabu Chottelal Jain Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorA N Upadhye, Others
PublisherBabu Chottelal Jain Abhinandan Samiti
Publication Year1967
Total Pages238
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size11 MB
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