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लक्ष्मी
उसमें
मनीषी बाबु छोटेलालजी
( नेमीचंद पटोरिया M. A. L. L. B. कलकत्ता )
( १ ) वर्षाई विभूति,
पर उससे कभी नहीं,
वे बहके
वाणी के थे वे
उसके पद पर
इनके खोजे
कुछ मंदिर,
उसके न ( २ )
युग-युग तक
तन नश्वर,
उसके ही ढूंढा प्रतीत बा जिससे कि पुरातन चमक उठा, इतिहास पा गया ( ४ ) कुछ शिला लेख,
कभी वे
कृपा-पुत्र,
सब
उसके आराधन में निशि - दिन । चढ़ा दिया, अजित धन, यश, यौवन, जीवन ॥ ( ३ ) इंगित पर इनने,
सदा उदाम
AAMKARANA
( ६ ) कितनी संस्था को जन्म दिया,
कुछ छिपी मूर्ति, कुछ ग्रंथ राज । कुछ गिरि गुफाऐं.
रहे ।
दास रहे ||
कहती प्रतीत - इतिहास श्राज ॥ ( ५ ) इनकी खोजें ही,
गावेंगी इनका प्रचुर गान । किन्तु अनश्वर है,
इनकी
खोजों का यश-महान ॥
कितनों को श्राश्रय मिला मधुर,
वात्सल्य श्रंग की
वह प्रवाह ।
नई राह ॥
कितनी संस्था को प्राण मिले ।
वे स्वर्ग गये हा ! छोड़ हमें,
सम्मान
कितनों को निश्चय श्रारण मिले || ( ७ ) स्वयं मूर्ति,
ये बड़े किन्तु कहते
कीर्ति वैभव
छोटे ।
रोते ॥
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