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________________ जी बाबू पं० चैनसुखदास न्यायतीर्थ दिवंगत वंगत बाबू छोटेलाल जी जैन की गणना देश के प्रमुख समाज एवं साहित्य सेवियों में की जाती है । देश की विभिन्न संस्थाओं से उनका निकट सम्बन्ध था और उनके माध्यम से वे गत ५० वर्षों से देश, समाज एवं साहित्य सेवा में अनुबद्ध थे । सन् १९१७ में कलकत्ता में जब इज का भीषण प्रकोप हुआ तब उन्होंने पीडित व्यक्तियों की भोजन, श्रौषधि श्रादि की व्यवस्था कर भरपूर सहायता की भी और यही सार्वजनिक सेवा में प्रवेश का सर्वप्रथम अवसर था । सन् १९४३ में बंगाल में जो भीवरण अकाल पडा था धौर जिमने लाखों इन्सानों की जान ले ली थी उस समय बाबू जी ने सारे बंगाल में घूम घूम कर अकाल पीडितों की तन मन धन से जो सेवा की थी वह अविस्मरगीय रहेगी । इसी तरह पूर्वी पाकिस्तान के नोपाखाली क्षेत्र में जब भीषण साम्प्रदायिक दंगे हुये और मनुष्य मनुष्य का दुश्मन बन गया उस समय भी अपने जीवन का खतरा मोल लेकर वहाँ रिलीफ कंम्प खोलें और सैकड़ों हिन्दूद्धों के जीवन की रक्षा की । कलकत्ता में हिन्दू मुसलिम दंगों के समय भी बाबू जी ने स्वयं पीडितों को प्रशंसनीय सेवा की। सरदार पटेल को अपील पर सोमनाथ मन्दिर के पुनरुद्धार के लिये कलकत्ता नगर के गनी ट्रेड एसोसिएशन द्वारा जो दो लाख की भारी रकम एकत्र हुई थी उसमें भी बाबू जी का पूरा सहयोग था । सन् १९१७ में आप कांग्रेस के सक्रिय सदस्य बने और कांग्रेस के विशेष अधिवेशन पर मापने अखिल भारतीय जंन राष्ट्रीय कान्फ्रेंस का कलकत्ता में अधिवेशन आमंत्रित किया। श्री बी० खापर्डे इस कांफ्रेंस के अध्यक्ष थे तथा लोकमान्य तिलक जैसे उच्च नेताओं ने इस में भाग लिया था। बाबूजी सी० प्रार० दास के अनुयायियों में से थे । इस कारण उन्हें काफी परेशानियां भी उठानी पड़ी थी पर आपने कभी भी दास बाबू का साथ नहीं छोड़ा। P कलकत्त के सम्पन्न जैन परिवार में आपका ७० वर्ष पूर्व जन्म हुमा धौर शिक्षा प्राप्ति के पदचात् प्रापका जीवन कारवां यात्रा की ओर बढने लगा। अपने व्यापारिक कार्यों के पश्चात् जो भी समय आपको मिलता उसे पाप समाज एवं देश सेवा में व्यतीत करने लगे शर्मः शनैः भाप सेवा के क्षेत्र में अधिक तत्परता से बढ़ने लगे और बुध समय पदचात् श्राप पूरे समाज सेवो ही बन गये । आपका सारा जीवन ही देश एवं समाज सेवा में समाप्त हो गया । बाबू जी कितनी ही संस्थानों के प्रध्यक्ष, मंत्री एवं ट्रस्टी थे आप कलकता जैन मन्दिर के ट्रस्टी, कार्मिक महोत्सव कमेटी एवं [अ०] भा० तीर्थ क्षेत्र कमेटी के सक्रिय सदस्य जीवन के अन्त तक रहे। इससे पूर्व से बंगाल बिहार उडीसा तीर्थ क्षेत्र कमेटी के मंत्री भी रहे समाज के सभी सुधार आन्दोलनो एवं सम्मेलनों मे श्रापका प्रमुख हाथ रहता था। समाज में बहुत से विकास कार्य आपके निर्देशन में चलते थे। साहित्य एवं पुरातत्व के धाप विशेष प्रेमी थे। देश की प्रमुख साहित्यिक संस्था वीर सेवा मन्दिर देहली के भाप वर्षों से अध्यक्ष थे। धनेकान्त पत्र के संचालन में प्रापका प्रमुख हाथ था और वे उसके काफी समय तक सम्पादक भी रहे। रायल एशियाटिक सोसाइटी के श्राप सन् १६२१ से सम्मानित सदस्य थे । खण्डगिरी उदयगिरी के पुरातत्व महत्व को प्रकाश में लाने में आपका
SR No.010079
Book TitleBabu Chottelal Jain Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorA N Upadhye, Others
PublisherBabu Chottelal Jain Abhinandan Samiti
Publication Year1967
Total Pages238
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size11 MB
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