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________________ बाबू छोटेलाल जैन स्मृति ग्रंथ । दिनांक ६-३-२६-"मैं पापको विश्वास है उसको जानकर महासभा अपना खेद प्रकट करती दिलाना चाहता है कि हमारी कमेटी और हमारी है तथा देश में परस्पर प्रेम व संगठन की समाज तन-मन-धन से इस कार्य में सहायता प्रावश्यकता देखकर बयाना के हिन्दू भाईयों से यह करने को तैयार है। माप लोग यहाँ का पूरा भरोसा अनुरोध करती है कि वे जैनियों के रथोत्सव व अन्य रखें। साथ साथ भाप लोग भी पूरी तरह कटिबद्ध धार्मिक कार्यों में किसी प्रकार का विरोध न रहें तो संसार की कोई भी शक्ति हमारी पवित्र डालकर हर तरह की सहानुभूति दिखावें । हिन्दू यात्रा को नहीं रोक सकेगी। पाप लोगों की राय महासभा के मंत्री इस सम्बन्ध में उचित योजना पहिले जोर से प्रान्दोलन करने की नहीं थी और करें।" ठीक भी था, नही तो मैं इतने जोर से प्रान्दोलन दिनांक ८-५-२६-"यहाँ मैं यह सूचना कर को उठाता कि सारे भारत में हल चल मच जाती। देना मुनासिब समझता हूँ कि हमें श्री १००८ हिन्दी-उर्दू अखबारों में तो खूब लिखा गया है, पर जिनेन्द्र भगवान की सवारी निकालने का जन्मसिद्ध अभी अंग्रेजी अखबारों में मैंने कुछ भी नहीं लिखा प्रधिकार है और उससे रंच मात्र भी हटना अपने है । आज बाबू अजीतप्रसादजी की राय मगा रहा पैरों में कुल्हाड़ी मारना होगा।" हैं फिर जोरों से इसकी तैयारी की जायगी । दीवान साहब के पास अंग्रेजी की चिट्रियाँ सारे भारतवर्ष दिनांक ६-६-२६-"प्रस्तु इम पत्र को प्राप से पहुँचाने का प्रबन्ध कर रहा है। साथ ही साथ तार समझ कर तुरन्त कुछ सज्जन शिमला पधारें । जहाँ जहां से ऐसी चिट्टियां जायेंगी उनकी सूचना वहाँ आप लोगों को ठहरने प्रादि का कष्ट नहीं पापको भेज दी जायगी।" होगा । प्राशा है. आप लोग यह मौका और दिनांक १७-३-२६-"हिन्दू नेताओं के पास बैरिस्टर साहब का सहयोग नहीं चूकेंगे। सफलता जो पत्र भेजे गये है एक मेरी तरफ से दूसरा बाबू की पूरी प्राशा है। केवल पत्रों से कुछ लाभ नहीं अजीतप्रसादजी की तरफ से। उनकी नकल कल होगा। यही मूरत कामयाब होगी । विशेष क्या मापको भेज दी जायगी । इनका जवाब माने से लिखें। पाप लोग अवश्य रवाना होकर सूचना पत्रों में प्रकाशित किया जायगा और मापको सूचित कर दिया जायेगा।" दिनांक :-६-२६-"हिन्दु महासभा के प्रधान दिनांक २७-३-२६-"माज राय बहादुर सेठ मंत्री ने दीवान साहब, जुडीशल संक्रेटरी साहब चम्पालालजी, रामस्वरूपजी व्यावर, रा०प० सेठ और पुलिस सुपरि० साहब को जो खत रवाना टीकमचन्दजी सोनी अजमेर और सर सेट हुकम किये हैं उनकी नकल पापकी सेवा में भेजी जाती चन्दजी इन्दौर को पत्र लिख दिये गये हैं। हम इसी है। हमारी सम्मति में प्रब अच्छे मजमून की प्रयल की विशेष चेष्टा में हैं कि किसी तरह रथ दरख्यास्त बनवाकर महतं सुदवाकर रथोत्सब की यात्रा निकल जाय । प्राज्ञार्थ पुनः राज्य से निवेदन करने का समय मा दिनांक १४-४-२६-हिन्दू नेताओं के पास गया है। प्राण मसौदा दरख्वास्त का माननीय पत्र भेजे गये थे। इनके फलस्वरूप हिन्दू महा सभा विद्यावारिधि जैन दर्शन दिवाकर बैरिस्टर चम्पतराय ने सूरत में एक मत से निम्नलिखित प्रस्ताव पास जी से बनवाइयेगा और हिन्दू महासभा के मंत्री जी किया है : के पत्र की नकल भी उनके पास भेज दीजियेगा। 'बयाना (भरतपुर) के सनातनी हिन्दू भाईयों अच्छा हो यदि पाप साहब में से एक योग्य सज्जन नियों के रथोत्सव निकालने में जो विघ्न किया जरूरी कागजात लेजाकर उनसे मसविदा बनवा लें।
SR No.010079
Book TitleBabu Chottelal Jain Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorA N Upadhye, Others
PublisherBabu Chottelal Jain Abhinandan Samiti
Publication Year1967
Total Pages238
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size11 MB
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