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बयाना जैन समाज को बाबूजी का अपूर्व सहयोग
२--आपने जैन एवं भर्जन श्रीमानों, धीमानों, नेताओं, पदाधिकारियों, बकील-रिस्टरों मौर सम्पादकों से हमारा सम्बन्ध स्थापित कराकर उन्हें हमें सहयोग देने को बाध्य किया।
३ -- भरतपुर राज्य के दीवान साहब की सेवा में जैन-अर्जनों की तरफ से काफी संख्या में स्थान स्थान से तार एवं महत्वपूर्ण पत्र भिजवाये ।
४ -- हिन्दी, उर्दू और प्रग्रेजी के अनेकों पत्रों में आपने रथोत्सव को विरोधियों द्वारा रोके जाने पर इसके विरोध में अनेकों जैन-अर्जन विद्वानों, नेताओं एवं पदाधिकारियों द्वारा लेखादि प्रकाशित कराये ।
५- हिन्दू महासभा के कार्यकर्तायों से सम्पर्क स्थापित करके आपने हमारे इस रथोत्सव के सम्बन्ध में एक महान महत्वपूर्ण धौर उपयोगी प्रस्ताव हिन्दू महासभा के सूरत अधिवेशन में पास कराया।
६हजारों की संख्या में "बयाना कांड" नामक एक महान महत्वपूर्ण और सफलताप्रद ट्रॅक्ट छावाकर विरोधियों में बँटवाया।
७- भरतपुर राज्य के दीवान साहब से मिलने के लिये जैन समाज के श्रीमन्तों व विद्वान बैरिस्टरो का एक शिष्ट-मण्डल तैयार कराया ।
८- हमारे इस मुकदमे सम्बन्धी समस्त कागजात श्रीमान् बानू भजीतप्रसादजी वकील लखनऊ एवं विद्या वाशिष जैन दर्शन दिवाकर बैरिस्टर चम्पतरायजी साहब के पास भिजवाये । जिनको देखकर दोनों महानुभावों ने हमें मुकदमा लड़ने के बारे में उचित परामर्श दिया।
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E-हजारों की संख्या में प्रभावशाली पैम्फलेट छपवाकर विरोधियों में समय समय पर वितरण करवाये ।
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भरतपुर एवं बयाना धाये पर इस मुकदमे के सम्बन्ध में समस्त जानकारी प्राप्त की ।
आपने हमारे यहाँ के रथोत्सव निकलवाने के सम्बन्ध में जो प्रयत्न किये व परिश्रम किया एवं हमें तन-मन-धन से जो सहयोग दिया वह कहने और लिखने में पाने वाली बात नहीं है। समय समय पर आपके हमें अनेकों पत्र प्राप्त हुये जिनमें कुछ पत्रों का संक्षिप्त सार में इसलिये दे रहा हूँ कि लोग यह जान जाय कि आपका धर्म व समाज के प्रति कितना अगाध प्रेम व सेवा भाव था तथा मैंने ऊपर जो कुछ भी आपके विषय में लिखा है वह कहाँ तक उचित है |
दिनांक १६-२-२६ के पत्र में आपने हमें निसा रथोत्सव स्थगित होने के ममं भेदो समा चारों के बारे में मैने धापसे भावश्यक बातें पूछ थीं। निहायत सेद की बात है कि अभी तक प्रापका किसी प्रकार का उत्तर नहीं मिला है। कई पत्रों में लेख निकल चुके हैं और प्रयत्न करने से जैन जीवन पर यह घोर कलंक दूर हो सकता है।"
दिनांक २० -२-२६---" प्रताप कानपुर, जैन मित्र, कृष्ण सन्देश आदि आदि पत्रों में प्रथम लेख प्रकाशित कराया गया है। हम प्रापके सहयोग से और प्रबल भान्दोलन कर सकेंगे । इस सम्बन्ध में कौन ऐसा जैनी होगा जिसका हृदय दुख से न भरा हो इस राष्ट्रीयता और संगठनवाद के युग में
जैन जनता पर यह अत्याचार दूर करने में यदि ढोल की जायगी तो भारी अप्रभावना का कारण होगा। मामला केवल बयाना का नहीं किन्तु सारी भरतपुर स्टेट धौर अन्य द्वेष भरे स्थानों में अंन जाति के धार्मिक स्वत्व रक्षा से सम्बन्ध रखता है। यह कलंक बयाना के सिर पर न रहे इसके लिये श्राप चिन्ताशील हैं यह जानकर सन्तोष है। इस सम्बन्ध में प्रकार की शक्ति भर सेवा करने
१०. श्रीमान् बैरिस्टर चम्पतरायजी, श्री राम स्वपनी भारतीय एवं अन्य नेताओं के साथ स्वयं आहे हिलेर