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बाबू छोटेलाल जैन स्मृति ग्रंथ
१९४७-४८ में इसके सभापति चुने गए थे । आपके कार्यकाल में सभा की ओर से राजगृह में श्रौषधानय की स्थापना की गई। इसी वर्ष में सभा को भोर से महावीर जयन्ती उत्सव मनाया गया जिसमें जैन एवं जैनेतर समाजों के उच्च कोटि के विद्वान सम्मिलित हुए थे। उसके बाद से सभा की कार्य समिति में आप बराबर रहे। आपने सदैव जैन समाज की सभी शाखाओं की एकता पर बल दिया।
७- श्री दिगम्बर जैन युवक समिति कलकत्ता की एक महत्त्वपूर्ण संस्था है । इसकी स्थापना एवं प्रारम्भिक कार्यों में बाबू जी का विशेष हाथ रहा है। इस समिति की घोर से महावीर पुस्तकालय संचालित होता है, उसमें थापने अपनी संग्रहीत बहुमूल्य पुस्तकें दी थी। समिति की घोर से सन् १९२१ में जैन विजय नामक पत्र प्रकाशित हुआ था, उसमें बाप सहायक संपादक नियुक्त किए गए थे। सन् १९२२ में बाढ़ पीड़ितों की सहायता के लिए जो चन्दा हुआ उसके लिए भी प्रापने प्रयत्न किया था।
८- सन् १९१७ में सेठ पद्मराजजी रानी वालों एवं बाबू जी के प्रयत्नों से जैन समाज की एकता व उन्नति के लिए श्री महावीर जैन समिति की स्थापना की गई, जिसके सभापति उक्त रानी वाले एवं मन्त्री बाबू जी थे । समिति की ओर से मासिक सभा प्रायोजित करने तथा विशेषतः स्त्रियों में विद्या का प्रचार करने आदि का तय किया गया। समिति की ओर से १९१७ में जैन धर्म भूषरण स्वर्गीय ब्र० शीतलप्रसाद जी के सभापतित्व में भारत जैन महामंडल का अधिवेशन हुमा, जिसमें प्रायः सभी प्रान्तों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया था। समिति की ओर से कांग्रेस अधिवेशन के समय २७-१२१७ को All India Jain Association व Political Jain Conference का भी प्रायोजन किया गया था, जिसमें लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक व देशपूज्य दादासाहब खापों भी सम्मिलित हुए थे ।
दादा साहब खापर्डे जैन पोलिटिकल कान्फ्रेंस सभापति थे लोकमान्य तिलक ने कहा था कि "स्वराज्य प्रान्दोलन के साथ ही मेरा दूसरा कार्य पण्डित अर्जुनलाल जी सेठी को छुड़ाना होगा ।"
समिति १६१७ में कांग्रेस द्वारा Affiliated हो गई थी और उस को प्रतिनिधि भेजने का अधिकार मिल गया था। बाबू जी भी अनेक वर्षों तक कांग्रेस के प्रतिनिधि नियुक्त होते रहे थे।
जैन तीर्थ क्षेत्र कमेटी के अनेक वर्षों तक मन्त्री रहे । ६ - बंगाल, बिहार एवं उड़ीसा दिगम्बर बिहार प्रान्तीय दिगम्बर जैन तीर्थ क्षेत्र कमेटी की एवं अखिल भारतीय दि० जैन तीर्थ क्षेत्र कमेटी की प्रबन्धकारिणियों में अनेक वर्षों तक वे सम्मानित सदस्य के रूप में रहे थे ।
१० - आपने खण्ड गिरि, उदयगिरि का इतिहास समाज के सामने रखा। भ० महाबीर के फूफा जितारी का निर्वाण स्थल सिद्ध कर इसे सिद्धक्षेत्र घोषित किया। इस क्षेत्र को प्रसिद्धि में लाने का श्रय प्रापको ही है।
११ - पाप कलकत्ता के गनी ट्रेड एसोसिएशन के स्थापनाकाल (सन् १९२५) से ही सक्रिय कार्यकर्ता रहे। प ३२ वर्ष तक इसकी कार्य कारिणी समिति के सदस्य रहे । दस वर्ष तक अवैतनिक संयुक्त मंत्री के पद को सुशोभित करते रहे । तीन वर्ष तक आप एसोसिएशन के उप-प्रधान एवं दो वर्ष तक प्रधान पद पर भी प्रासीन रहे । अपनी निष्पक्षता के आधार पर छापने जो ख्याति प्राप्त कर ली थी, उसके कारण श्रापका निर्णय सहर्ष स्वीकार होता था। आपके मंत्रित्व काल में एसोसिएशन को व्यापारिक कार्यों के प्रतिरिक्त जन-कल्याण की ओर भी प्रवृत्त किया गया, जिसमें लगभग पाँच लाख रुपए खर्च किए गए आप इस एसोसिएशन की ओर से अनेक व्यापारिक संस्थाओं के प्रतिनिधि भी रहे थे ।