________________
! जो समाज दुखी का दुख नहीं समझता, पापति विपत्ति में। हिम्मत नहीं बंधाता, वह समाज मेरा नहीं, मुझ जैसे गरीबों का | नहीं है।
! मनुष्य मनुष्य में अनगिनत भेद होते है, परन्तु मनुष्यता एक ।
चीज है जो कभी-कभी भेद की इन सारी दीवारों को लांघ जाती है। । 1 x x x x I अपने सम्मान की आप रक्षा न करने से अन्यत्र सम्मान प्राप्त ! नहीं किया जा सकता।
आदमी जिस जमीन पर गिरता है, उठने के लिए उसे उसीका । सहारा लेना होता है।
-बाबूजी की सायरी से