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बाबू छोटेलाल जैन स्मृति ग्रंथ
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हृदय विदारक समाचार को सुनकर बहुत दुःख हुआ । बानू छोटेलाल जी का निधन कुटुम्ब के लिये ही नहीं, अपितु समाज के लिये भी प्रति दुःखदायी है । आपकी साहित्य सेवा सदैव अमर रहेगी ।
- चन्दाबाई जैन
जैन बाला विश्राम, आरा, बिहार ।
श्री बाबू छोटेलाल जी जैन प्रव इस संसार में नहीं रहे । यह समाचार समाज के लिए वज्राघात
के समान था । बाबूजी के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए जैन संस्कृत कालेज में सभा कर शोक प्रस्ताव पारित किया गया एवं जयपुर जैन समाज की प्रोर से भी बड़े दीवाणजी के मन्दिर में एक शोक प्रस्ताव पारित किया गया ।
चैनसुखदास
अध्यक्ष, श्री दिगम्बर जैन संस्कृत कालेज जयपुर (राजस्थान)
त्याग और विसर्जन की दीक्षा में सिद्धि प्राप्त करना ही हमारी सब से बड़ी सफलता है । इसी मार्ग का अवलम्बन लेकर हमारी कितनी ही विधवा बहिनें जीवन की सर्वोत्तम सार्थकता का अनुभव कर गई हैं।
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+ atr और दुःसह नैराश्य के बीच ऐसे बहुत दुख, बहुत मनुष्यों के भाग में, बहुत बार आए हैं। सुख-दुख की इस परम्परा में कोई नवीनता नहीं है। यह उतनी ही सनातन है जितनी कि सृष्टि । उफनते हुए शोक-सागर की लहरों को संसार भर में फैला देने में, न तो कोई पौरुष है और न ही इसकी कोई आवश्यकता है।
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पति को त्याग देना कोई बड़ी बात नहीं। उसे फिर से पाने की साधना ही स्त्री के लिए परम सार्थकता है। अपमान का बदला लेने की होड़ में ही स्त्री की वास्तविक मर्यादा नष्ट होती है. अन्यथा वह तो कसौटी है जिस पर कस कर प्रेम परखा जाता है । अन्त तक सर्वस्व दान करके ही आदमी यथार्थ में अपने आपको पाता है । स्वेच्छा से दुःख स्वीकार करने में ही आत्मा की यथार्थ प्रतिष्ठा है ।
- बाबू जी की डायरी से