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श्रद्धांजलियाँ
"कलकत्ता जैन समाज की यह सार्वजनिक सभा जैन समाज के नेता धर्मानुरागी पुरातत्ववेत्ता, एकता के समर्थक श्री छोटेलालजी जैन के प्राक free fart पर शोक प्रकट करती है। श्री छोटेलाल जी जैन ने ग्रपने समय में सामाजिक, धार्मिक सांस्कृतिक, तीर्थक्षेत्र, शिक्षा पुरातत्व तथा समाज सुधार के क्षेत्रों में घपना सक्रिय योगदान दिया
था। वे कलकत्ता जैन समाज की प्रायः सभी संस्थाओं में अपना महत्वपूर्ण सहयोग दे रहे थे जिनके लिए समाज उनका आभार मानता है ।
जैन समाज उनके प्रति हार्दिक श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उनके वियोग में संतप्त परिवार के प्रति संवेदना प्रकट करता है, एवं उनको महान आत्मा की शांति के लिये प्रार्थना करता है।"
श्रद्धय भाई जी के निधन के समाचार से बड़ा दुःख हुमा पर्याप उनका स्वास्थ्य पिछले कुछ समय से होगा चल रहा था, तथापि वह कल्पना भी नहीं थी कि उनमें इतनी जल्दी बिछोह हो जायेगा ।
उनके निधन से एक बहुत ऊंचा व्यक्ति उठ गया उनकी सेवायें और उनके गुगा समाज एवं हम सब को चिरकाल तक अनुप्राणित करती रहें, ऐसी मेरी कामना श्रीर प्रभु से प्रार्थना है। में उन्हें अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करता हूँ ।
यशपाल जन, सस्ता साहित्य मंडल एन-७७ कनाटस नई दिल्ली
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को वर्तमान रूप देने का गम्यतः उन्हीं को है । इस संस्था के द्वारा उन्होंने अनेक लोकोपयोगी प्रवृत्तियों का संचालन किया।
वीर सेवा मन्दिर की यह ग्राम सभा जैन धर्म और जैन समाज के अनन्य सेवी तथा जैन पुरातत्व के विद्वान बाबू छोटेलाल जैन के निधन पर गहरा शोक प्रकट करती है, और बाबू छोटेलाल जी उन इने-गिने व्यक्तियों में से थे, जिन्होंने अपने जीवन के बहुत से वर्ष सेवा में व्यतीत किये। वीर सेवा मंदिर
है
समाज पर बाबू
बाबू छोटेलाल जी के निधन से जैन समाज की विशेष कर वीर सेवा मन्दिर की जो क्षति हुई उसकी पूर्ति कदापि नहीं हो सकती। वीर सेवा मन्दिर के रूप में दिल्ली जैन छोटेलालजी का भारी ऋण है, और यह सभा विश्वास प्रकट करती है कि जैन समाज उसके संचालन की ऐसी व्यवस्था करेगी कि जैन धर्म की प्रभावना की दिशा में उनकी ऊनी भावनाएं पूर्ण हो सके। यह सभा दिवंगत आत्मा के प्रति अपनी हार्दिक श्रद्धांजलि अर्पित करती है और प्रभृ से प्रार्थना करती है कि उनकी धारमा शान्त उच्च पद प्राप्त करे और उनके परिवार के साथ यह सभा सहानुभूति प्रकट करती है।
वीर गंवा मन्दिर देहली
श्रद्धेय श्री बाबू छोटेलाल जी के स्वर्गवास का समाचार सुनकर स्तब्ध रह गया । विधि का विधान ही ऐसा है, उस पर किमी मावा नहीं। श्रव बाहूजी के चले जाने से बड़ा जबर्दस्त धक्का लगा है। अब धर्य के सिवा कोई चारा नहीं है । अतः जिनेन्द्र देव से प्रार्थना है कि मृतात्मा को शान्ति एवं समस्त समाज को उनके अभाव का दुःख सहन करने की शक्ति प्रदान करें।
- बाबूलाल जैन, फागुल्ल, वाराणसी
श्री वायु छोटेलाल जी जैन के अचानक वियोग का हृदय विदारक दुःखद समाचार पाकर चित बहुत ही दुखित हो रहा है।
दुखित हृदय जुगलकिशोर एटा